संस्कार ही संसार से मुक्ति का कारण है

इंदौर।जीवन उनका धन्य है जो पंच परमेष्ठी की शरण में है संस्कार ही संसार से मुक्ति दिलाता है , जिसकी विशुद्धि जितनी होती है उसको उतना बड़ा फल मिलता है सन्मति स्कुल में संयोगितागंज दिगम्बर जैन अतिशय क्षैत्र पंचायती मंदिर में आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव के अंतर्गत मुनि श्रीआदित्यसागरजी महाराज ने प्रवचन में व्यक्त किये उन्होंने कहा कि जीवन में तीन कार्य अवश्य करना चाहिए सपरिवार सम्मेद शिखर की वंदना , सिद्धचक्र महा अनुष्ठान में इंद्र बनकर पूजा करना और पंचकल्याणक में किसी भी पद पर सुशोभित होकर याग मंडल विधान करना ,पंडित अनेकांत शास्त्री ने कहा की एक पाषाण को पंचकल्याणक की क्रिया और अनुष्ठान द्वारा पूजनीय मूर्ति बना दिया जाता है , पुण्य सबके हिस्से में नहीं आता जो सत्संग में है वह पुण्य शाली जीव है हम आदिनाथ के वंशज हैं भरत बाहुबली के वंशज हैं और महावीर के अनुयाई हैं , अयोध्या को राजा भगवान आदिनाथ जिनके भरत बाहूबली आदि 101 पुत्र एवं दो पुत्री ब्राह्मी और सुंदरी थी उन्होंने मानव को जीवन कैसे जिया जाए यह सिखाया था भगवान आदिनाथ के चरित्र से अपने आप को जोड़ो तो हम भी पुणे आश्रम करते हुए उच्च स्थान को प्राप्त कर सकते है।
इस अवसर पर सन्मति वाणी पत्रिका का विमोचन संपादक जयसेन जैन , अमित कासलीवाल , डॉक्टर जैनेंद्र जैन , सुशीला सालगिया, संजीव जैन संजीवनी , सुरेश जैन ने मुनि संघ के सानिध्य में विशेष अतिथि मुकेश पाटोदी से कराया ।