नीति आयोग के सीईओ ने बड़वानी कलेक्टर को अपनी अनूठी पहल ‘‘मिशन उम्मीद‘‘ की प्रस्तुति के लिए बुलाया दिल्ली

बड़वानी
नीति आयोग के सीईओ श्री परमेश्वरन अय्यर ने बड़वानी कलेक्टर श्री शिवराजसिंह वर्मा को उनकी अनूठी पहल ‘‘मिशन उम्मीद‘‘ की प्रस्तुति आयोग के समक्ष देने हेतु 12 अगस्त को दिल्ली आमंत्रित किया है।
उल्लेखनीय है कि बड़वानी कलेक्टर श्री शिवराजसिंह वर्मा ने नीति आयोग के आकांक्षी जिले बड़वानी में दुर्गम क्षेत्रों में परिस्थितिवश उत्पन्न गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव हेतु लाने में होने वाली परेशानियों एवं जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखने हेतु मिशन उम्मीद प्रारंभ किया है। इसके तहत ‘‘ममता ब्रिगेड‘‘ की सदस्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता एवं एएनएम को गर्भवती महिलाओं को पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों में बने उनके घरो से बल्ली एवं मजबूत-मोटे कपड़े से बने स्ट्रेचर से पहाड़ से उतारकर मुख्य सड़क पर खड़े वाहन के माध्यम से निकट के स्वास्थ्य केन्द्र में पहुंचाने का प्रशिक्षण दिया गया है। जिसके कारण अब ममता ब्रिगेड की यह जांबाज महिला सदस्य गर्भवती महिला के परिजनों के सहयोग से गर्भवती महिला को समय पर पहाड़ से उतारकर सुरक्षित प्रसव हेतु स्वास्थ्य केन्द्रों में भेजने में सफल हो रही है। जिसके कारण अब पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों में भी लगभग शत प्रतिशत प्रसव संस्थागत कराने में सफलता मिल रही है। इसके कारण जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी उल्लेखनीय कमी आई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग समीक्षा के दौरान इस हेतु बड़वानी जिला प्रशासन की कई बार भूरी-भूरी प्रशंसा की है।
इसके साथ ही कलेक्टर श्री वर्मा ने ऐसे ग्रामीणजन जो अपने ग्राम, क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को अपने वाहन से निकट के स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाते है। उन्हे भी उनके वाहन से गर्भवती महिलाओं को लाने-ले जाने के लिए प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया है। जिससे अब बड़वानी जिला भी राष्ट्रीय औसत के करीब तेजी से पहुंच रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिता सिंगारे से प्राप्त जानकारी अनुसार मिशन उम्मीद जिले के दुर्गम क्षेत्र के 110 ग्रामों में प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है। इसके तहत अभी तक 2392 गर्भवती महिलाओं का प्रसव संस्थागत करवाने में सफलता मिली है। जबकि पहले यह समस्त प्रसव घर पर ही होते थे। मिशन उम्मीद ने जिले में संस्थागत प्रसव कराने एवं गर्भवती महिलाओं की प्रसूति संस्थागत कराने के प्रति आमजनों की सोच में सकारात्मक बदलाव किया है। जिसके कारण अब जिले में 97 प्रतिशत प्रसव संस्थागत हो रहे है।