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सागर। कल 22 जुलाई को निकलेगी तिसाला यात्रा,बुरी बलाओं से शहर को बचाने शुरू की गई थी बड़ी पूजा

सागर।
कल 22 जुलाई को निकलेगी तिसाला यात्रा। देवशयनी एकादशी के बाद द्वादशी से सागर शहर में 181 साल से बड़ी पूजा का आयोजन किया जाता है। जिसमें काली ताकतों बुरी बलाओं को दूर भगाने 11 दिनी अनुष्ठान होता है। इसमें तरह तरह के तंत्र का प्रयोग किया जाता है। ग्यारवें दिन रथ यात्रा निकलती है जिसमें माता के रथ के सामने बकरे की आकृति बनाई जाती है यह संकेत है कि कभी इस रात को बकरे खींचा करते होंगे। सांकेतिक रूप से दो काले बकरे लगाए रथ में लगाये जाते हैं। लोग मातारानी के रथ को हाथों से खींचते हैं शोभायात्रा में बुन्देली संस्कृति का प्रतीक शेर नृत्य, लोक भजन मंडली और बरेदी नृत्य आकर्षण बनता है।
मान्यता है कि देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु क्षीर सागर में जाकर चातुर्मास तक विश्राम करते हैं। इस बीच मांगलिक कार्यक्रम नहीं होते इसके बाद देवउठनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु संसार का भार संभालते हैं तब सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। तब तक सृष्टि का कार्यभार भाग शिव पर निर्भर होता है।

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