सेंधवा। जियो और जीने दो, अहिंसा परमो धर्म की जय हो…
प्रभु महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक दिवस पर जैन मंदिर से शोभायात्रा निकाली गई।

सेंधवा। शांति के अग्रदूत, अहिंसा के अवतार, प्रभु महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक दिवस के अवसर पर गुरूवार को जैन मंदिर से शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा जैन मंदिर से प्रारंभ होकर झांकी मार्ग होते हुए जैन स्थानक पहुंची। शोभायात्रा में रथ पर भगवान महावीर की फोटो विराजमान थी। शोभायात्रा में भगवान महावीर का अमर संदेश जिओ ओर जीने दो, अहिंसा परमो धर्म की जय हो, तन को करता कौन खराब मांस, अंडा और शराब जैसे नारों के साथ समाजजन जयघोष कर करते हुए चल रहे थे। उक्त शोभायात्रा का समापन पुनः जैन मंदिर में हुआ। शोभायात्रा के समापन के पश्चात पश्चात सकल जैन समाज की महिलाओं एवं बच्चों द्वारा भगवान महावीर के जीवन से संबंधित धार्मिक नाटक का मंचन किया गया। भगवान महावीर के जीवन से संबंधित धार्मिक प्रश्न मंच का आयोजन हुआ एवं गत 2 दिनों में आयोजित धार्मिक आयोजनों से संबंधित विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन रुचिता जैन और लीना जैन द्वारा किया गया। प्रेमचंद्र सुराणा द्वारा सकल जैन संघ के सहयोग के लिए आभार किया गया। अंत में सकल जैन संघ की सामुहिक भोजन प्रसादी हुई।
स्वयं भगवान को भी अपने कर्मों का परिणाम भोगना पड़ा हैं-
जैन स्थानक में पूज्य चंपा जी मसा ने समाज जनो को फरमाते हुए कहा कि जो कर्म हम स्वयं बांधते हैं उसे हमें स्वयं को ही भोगना है। उन कर्मों को काटने के लिए पुरुषार्थ भी स्वयं को करना होगा। भगवान महावीर को स्वयं पूर्व भव में उनके किए हुए कर्मों का भुगतान किए बिना ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ। भगवान महावीर ने 12.5 वर्ष तक कठोर साधना की तब उन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हुआ। हम यह बात अच्छी तरह से समझ ले कि जब स्वयं भगवान को भी अपने कर्मों का परिणाम भोगना पड़ता है तो हम हमारे अशुभ कर्मों के परिणाम से कैसे बच सकते हैं। इसलिए कर्म बहुत सोच समझ कर करना चाहिए।
मोक्ष मार्ग के 4 पाये-
आपने कहा कि मोक्ष मार्ग के 4 पाये है, दान -शील-तप-भाव अर्थात ज्ञान दर्शन तप व चारित्र। इनको जीवन में अपना कर ही हम मोक्ष पर आगे बढ कर सच्चे सुख को प्राप्त कर सकते हैं। इसके पश्चात पूज्य म.सा. ने मांगलिक दी।
यह रहे शामिल-
शोभायात्रा एवं अन्य कार्यक्रम में जवेरचंद जैन, बी.एल. जैन , दिपक लालका, अंबालाल शाह, घेवरचंद बुरड, अशोक सकलेचा, गिरिश लालका, अशोक पाटनी, छोटेलाल जोगड, नंदलाल बुरड, प्रेमचंद सुराणा, महावीर सुराणा, विजय जैन, परेश सेठिया, डॉ. एम.के. जैन, डा किंशुक लालका, गिरिश नागड़ा, निलेश जैन, तेजस शाह, सुरेश बागरेचा, सौरभ जैन, रोहित मोमाया सहित अनेक समाजजन उपस्थित हुए।