बड़वानी में मानसिक रूप से कमजोर महिला के साथ तीन दरिंदों ने किया सामुहिक बलात्कार, न्यायालय ने तीनों को सुनाई 20-20 वर्ष सजा

बड़वानी। प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संध्या मनोज श्रीवास्तव द्वारा अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में मानसिक अस्वस्थ महिला के साथ सामुहिक दुष्कर्म करने के आरोपीगण अरूण उर्फ नितीन पिता अखिलेश चौहान, सुमित पिता सुनील चौहान तथा राहुल पिता ज्ञानसिंह बामनिया, सभी निवासी – कोली मोहल्ला नवलपुरा बड़वानी को 20-20 वर्ष कठोर कारावास व 5000 अर्थदंड से दंडित किया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक शिवपाल सिंह सिसोदिया ने की।
उन्होंने बताया कि पुलिस थाना बड़वानी में पीड़िता की बहन ने उपस्थित होकर बताया कि उसकी बहन ( पीड़िता ) का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। वर्ष 2015 से मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने से वह ठीक से किसी से भी बातचीत नहीं करती है और कभी-कभी चुपचाप रात को घर के ओटले पर बैठ जाती है। उसका खरगोन के डाक्टर से भी मानसिक चिकित्सक से इलाज चल रहा है। उसने बताया कि दिनांक 24-10-23 को दशहरे के त्यौहार के दिन रात 10 बजे हम सभी खाना खाकर सो गए। बडी बहन पीड़िता घर के आगे कमरे में सोई थी। रात 2.30 बजे मेरी नींद खुली तो देखा कि बहन (पीड़िता) कमरे में नहीं है फिर उसके बाद हमने उसे आसपास मोहल्ले व नगर में तलाशते रहे फिर दूसरे दिन दोपहर को उसकी बहन ( पीड़िता) पैदल घर आ गई। उसने साड़ी पहन रखी थी जबकि घर से गई तब उसने लेंगी -टाप पहन रखा था। रात को जाने व साड़ी पहनने के सम्बन्ध में पुछताछ करने पर वह चुप रही। बाद में दूसरे दिन पीड़िता कपड़े बदल रही थी तो उसको देखा तो उसकी पीठ पर खरौंच के निशान थे, फिर उसने व उनकी माता ने पीड़िता के कपड़े उतरवाकर देखें तो पीड़िता की पीठ, गुप्तांगों व गुप्तांगों के आसपास चोट व खरौंच के निशान थे।जो कि किसी व्यक्ति द्वारा उसकी बहन पीड़िता के साथ जबरदस्ती बलात्कार करने से आए हैं। पीड़िता से काफी पुछताछ करने पर की उसके साथ किसने बलात्कार किया किन्तु पीड़िता मानसिक रूप से अस्वस्थ होने से बता नहीं सकती । उसके बाद परिवार पीड़िता के साथ पुलिस थाने रिपोर्ट करने आया है।
उक्त जानकारी के आधार पर पुलिस थाना बड़वानी द्वारा धारा 366,376(1),376(2) भादंसं के तहत मामला दर्ज किया गया। सिसोदिया ने बताया कि उक्त प्रकरण में पीड़िता न तो किसी अभियुक्त को पहचान रही थी न ही बता पा रही थी कि उसके साथ क्या घटना हुई है।ऐसी स्थिति में अभियोजन पक्ष के वकील को न्यायालय के समक्ष पीड़िता के साथ हुई घटना को सिद्ध करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। साथ ही न्यायालय को इस बाबत भी संतुष्ट करना था कि पीड़िता का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है जिसके लिए मेरे सामने पुलिस द्वारा किए एकत्र किए गए मेडिकल व तकनीकी साक्ष्य जिसमें सीसीटीवी फुटेज व डीएनए की फारेसिंक जांच रिपोर्ट को साक्षियों के माध्यम से सिद्ध करना था। साथ ही न्यायालय के पीड़िता को उपस्थित कर उसका भी कथन परीक्षण करवाकर न्यायालय को संतुष्ट करना था। मेरे द्वारा उक्त सभी बातों को न्यायालय में मेडिकल, तकनीकी साक्ष्य के माध्यम से सिद्ध किया गया, जिस पर न्यायालय द्वारा सभी तीनों अभियुक्तगणों को धारा 376(डी) व 376(एल) भादंसं के तहत 20-20 वर्ष का कठोर कारावास व 5000 अर्थदंड तथा 366 के तहत 5 वर्ष कारावास व 2000 अर्थदंड से दंडित किया। सभी सजाए एक साथ चलेगी। प्रकरण में पुलिस की ओर सराहनीय अनुसंधान सब इंस्पेक्टर माया अलावा एवं उनकी समस्त टीम द्वारा किया गया।