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कोर्ट ने कहा मप्र में भी चल रहा ‘पुष्पा राज’? मध्यप्रदेश में ‘पुष्पा सिंडिकेट’ का जिक्र किया। व्यापारियों व सिंडिकेट चला रहे अवैध लकड़ी का कारोबार।

एमपी के जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर हाईकोर्ट हुआ सख्त, 53 तरह के पेड़ काटने की इजाजत का नोटिफिकेशन रद्द,।

पर्यावरण के हक में फैसलाः

आशीष यादव धार।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने मध्यप्रदेश में जंगलों की अवैध कटाई को लेकर सरकार की नीतियों को आड़े हाथों लिया और 24 सितंबर 2019 को जारी वह नोटिफिकेशन रद्द कर दिया, जिसमें सरकार ने 53 तरह के पेड़ों की कटाई और उनकी लकड़ियों के परिवहन को सरकारी इजाजत से छूट दे दी थी। मामले पर कोर्ट ने 100 पन्नों का फैसला सुनाया। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत, जस्टिस एस ए धर्माधिकारी और जस्टिस विवेक जैन की लार्जर बेंच ने सुनवाई को दौरान कोर्ट ने मध्यप्रदेश में ‘पुष्पा सिंडिकेट’ का जिक्र किया। लार्जर बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि फिल्म पुष्पा में व्यापारियों व सिंडिकेट को उजागर किया है, जो आंध्रप्रदेश के शेषाचलम के घने हरे-भरे जंगलों में लाल चंदन के अवैध परिवहन, व्यापार और बिक्री में लगे हुए हैं। तस्करों और व्यापारियों का सिंडिकेट इतना प्रभाव और दबदबा बनाने लगता है कि पुलिस, वन विभाग, नीति निर्माताओं और अंततः विधायकों तक शासन का कोई भी हिस्सा अछूता नहीं रह जाता। यह दर्शाता है कि कैसे वनोपज के अवैध व्यापार और परिवहन का राक्षस और माफिया घने जंगलों में घुस सकता है। राज्य मशीनरी के साथ मिलीभगत करके जंगल की प्राकृतिक संपदा को लूट सकता है। कार्यपालिका वन उपज के ऐसे विक्रेताओं के प्रभाव और दबदबे के आगे झुक जाती है।

दस पुत्र एक पेड़ के बराबर:
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एक जलाशय दस कुओं के बराबर है, दस जलाशय एक पुत्र के बराबर है और दस पुत्र एक पेड़ के बराबर है। हाईकोर्ट लार्जर बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि साल 2015 में जारी विवादित अधिसूचना और साल 2017 में किए गए संशोधन वन अधिनियम, 1977 की धारा 41(1), (2) और (3) के प्रावधानों के विपरीत हैं। इसके अलावा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 48-ए का उल्लंघन करते हैं। लार्जर बेंच ने विवादित अधिसूचना और उसमें किए गए संशोधन को निरस्त कर दिया। साथ ही अपने आदेश में कहा है कि ट्रांजिट पास नियम, 2000 छूट प्राप्त सभी वृक्ष की प्रजातियो पर तत्काल प्रभाव से लागू की जाए।

इंदौर से जुड़ा है यह मामला, दस्तावेजों ने कोर्ट को चौंकाया:
लार्जर बेंच ने वर्तमान मामलों के 1500 से अधिक पृष्टलों में दस्तावेज रेकॉर्ड का हवाला दिया। साथ ही कहा है कि याचिका में पेश किए गए दस्तावेजों ने हमें चौका दिया। इसमें इंदौर के वन प्रभाग के अधिकारियों और वन विभाग के भीतर आंतरिक रूप से आदान-प्रदान किए गए पत्राचार शामिल हैं। वन संरक्षक इंदौर द्वारा अप्रैल 2017 में वन मंडल अधिकारी, इंदौर को संबोधित पत्र में बड़े पैमाने पर हरे-भरे और फलों से लदे पुराने पेड़ों की अवैध कटाई का जिक्र है। इंदौर की मंडी में भारी मात्रा में उनके व्यापार का उल्लेख किया गया है। इस पत्र में कहा गया है कि लगभग 100-150 वाहन प्रतिदिन प्रमुख बाजारों में हजारों 1000-1500 टन लकड़ी और वन उपज अवैध रूप ले जा रहे है। जिसका स्रोत निराशाजनक रूप से अज्ञात है।

पुराने हरे-भरे पेड़ों को काटा जा रहा:
सीएफ द्वारा उक्त पत्र में डीएफओ को मामले में आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्य वन संरक्षक, इंदौर वृत्त द्वारा वन संरक्षक, इंदौर संभाग को अप्रैल 2019 को लिखे गए पत्र में पुनः उल्लेख किया गया कि 53 प्रजातियों के वृक्षों को छूट अधिसूचना का अनुचित लाभ उठाते हुए, पूरे इंदौर संभाग एवं राज्य के विभिन्न वन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई, अवैध कटाई एवं लकड़ी का परिवहन हो रहा है। यह संदेह है कि लकड़ी माफिया द्वारा लकड़ी बाजार में व्यापार के लिए हजारों की संख्या में पुराने हरे-भरे पेड़ों को अवैध रूप से काटा जा रहा है। मुख्य वन संरक्षक इंदौर वृत्त द्वारा प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक को जुलाई 2019 में जांच रिपोर्ट भेजी थी। उसमें कहा गया है कि किस प्रकार 53 प्रजातियों को व्यापक छूट देने से इंदौर संभाग के वन एवं गैर-वनीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पेड़ों के जीवन पर कहर बरपा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि छूट अधिसूचना अवैध रूप से खरीदी गई लकड़ी, काष्ठ और वन उपज के परिवहन को वैध बनाने और किसी भी जांच या नियंत्रण के बिना इसका व्यापार करने का लाइसेंस बन गई है। जो राज्य के वन क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।

जांच रिपोर्ट में भी की गई थी अधिसूचना को वापस लेने की सिफारिश:
मुख्य वन संरक्षक एम. कल्लिदुरई द्वारा तैयार की गई इस जांच रिपोर्ट में यह सिफारिश की थी कि छूट अधिसूचना को वापस ले लिया जाए या संशोधित किया जाए। जिससे नियामक नियंत्रण को पुनर्जीवित किया जा सके और पारगमन की व्यवस्था उन सभी प्रजातियों को पार कर जाए, जो मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रचुर मात्रा में मौजूद है। लार्जर बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि यह पत्र इस बात का पुख्ता सबूत है कि छूट अधिसूचना ने निजी तौर पर उगाए गए पेड़ो और पौधों के व्यापार की आड़ में मध्य प्रदेश राज्य में वन संसाधनों की अप्रत्यक्ष रूप से खुली लूट को वैध बना दिया है।

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