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कोर्ट के चक्कर में ‘पीथमपुर’: यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, 27 फरवरी को है जलाने का आदेश

आज नहीं हुई सुनवाई तो गुरुवार से पीथमपुर में जलने लगेगा जहरीला कचरा

आशीष यादव धार

पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के जलने के संबंध में 27 फरवरी से प्रारंभ होने वाले ट्रायल रन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित कर दी गई। सोमवार को इस मामले में इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र द्वारा दाखिल याचिका की सुनवाई तय थी, परंतु सुप्रीम कोर्ट के जज बीआर गवई के अवकाश पर होने के कारण यह कार्यवाही टल गई। सोमवार को राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में बताना था कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने के दौरान कोई घटना होती है तो उसके पास क्या इंतजाम हैं। इस आशंका के चलते उसने क्या तैयारी की है, लेकिन न्यायमूर्ति के अवकाश पर होने की वजह से सुनवाई टल गई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने तत्काल ही शीघ्र सुनवाई का आवेदन दे दिया जिस मंगलवार सुबह सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता चिन्मय मिश्र ने बताया कि 27 फरवरी से पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने की शुरुआत होने जा रही है। शीघ्र सुनवाई के आवेदन में हमने कहा है कि 26 फरवरी को न्यायालय का अवकाश है। अगर मंगलवार को मामले में सुनवाई नहीं की गई तो गुरुवार सुबह से कचरा जलना शुरू हो जाएगा और याचिका निर्थक हो जाएगी इसलिए मामले में मंगलवार को ही सुनवाई की जाए।

केंद्र व मप्र सरकार को नोटिस हो चुके जारी:
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने का आदेश जारी कर दिया है, जिसके तहत 27 फरवरी से पहले चरण की शुरुआत की जाएगी। मिश्र ने बताया कि उन्होंने पहले ट्रायल से पहले ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आवेदन कर दिया है, और वे 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, मध्यप्रदेश सरकार एवं उसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस भेजकर उनसे प्रतिक्रिया मांगी थी। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि 1984 की उस भयानक त्रासदी में 5,479 लोगों की मौत हो गई थी और पांच लाख से अधिक लोग दिव्यांग हो गए थे। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य के अधिकार और इंदौर शहर समेत आसपास के क्षेत्रों के निवासियों के लिए उत्पन्न जोखिमों को ध्यान में रखते हुए इस याचिका का संज्ञान लिया है।

निस्तारण स्थल के एक किमी के दायरे में चार-पांच गांव:
2-3 दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव हुआ था, जिसने एक महा त्रासदी का रूप धारण कर लिया था। जस्टिस बीआर गवई और आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 3 दिसंबर 2024 और 6 जनवरी 2025 के आदेशों को चुनौती देते हुए याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी। याचिकाकर्ता चिन्मय मिश्र ने एडवोकेट सर्वम ऋतम खरे के माध्यम से सुप्रीम अदालत में दायर याचिका में कहा कि वह पीथमपुर में 337 टन खतरनाक रासायनिक कचरे के निस्तारण के अधिकारियों के निर्णय से अत्यंत चिंतित हैं। निस्तारण स्थल के एक किलोमीटर के दायरे में कम से कम चार-पांच गांव स्थित हैं, जहां के निवासियों का जीवन और स्वास्थ्य गंभीर जोखिम में है। साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि गंभीर नदी औद्योगिक क्षेत्र के पास से बहती है और यशवंत सागर बांध को पानी की आपूर्ति करती है।

इस तरह होगा ट्रायल रन:
18 फरवरी को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान जहरीला कचरा जलाने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट के निर्देशानुसार, पहले चरण में 10 मीट्रिक टन कचरा 27 फरवरी से जलाया जाएगा, उसके बाद 4 मार्च से अगला 10 मीट्रिक टन और 10 मार्च से अंतिम 10 मीट्रिक टन कचरा ट्रायल रन में जलाया जाएगा। इस प्रकार कुल 30 मीट्रिक टन कचरे का ट्रायल रन किया जाएगा और इसकी रिपोर्ट 27 मार्च को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी। यदि ट्रायल रन के दौरान शासन पक्ष को किसी भी प्रकार की चिंता उत्पन्न होती है, तो वे बीच में ही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में हस्तक्षेप करने का विकल्प अपना सकते हैं।

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