इंदौरधर्म-ज्योतिष

दुर्लभ मनुष्य जीवन को धन्य और सार्थक बनाने के लिए छोटे – छोटे त्याग करते रहना चाहिए-मुनिश्री  

अंजनि नगर पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मना ज्ञान कल्याणक महोत्सव-मुनिश्री बोले, ज्ञान ही जीवन का मूल आधार

दुर्लभ मनुष्य जीवन को धन्य और सार्थक बनाने के लिए छोटे – छोटे त्याग करते रहना चाहिए-मुनिश्री

अंजनि नगर पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मना ज्ञान कल्याणक महोत्सव-मुनिश्री बोले, ज्ञान ही जीवन का मूल आधार

इंदौर । मनुष्य जन्म प्राप्त करना अत्यंत दुर्लभ माना गया है। जीवन की धन्यता केवल आहार, निद्रा और मैथुन तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। यह सब तो पशु भी करते हैं। यदि परमात्मा ने हमें मनुष्य जन्म दिया है तो छोटे-छोटे त्याग करते रहकर हमें भी अपने जीवन को धन्य और सार्थक बनाने की जरूरत है। ज्ञान ही वह तत्व है, जो मनुष्य और पशु के भेद को रेखांकित करता है। ज्ञान जीवन का मूल आधार है। ज्ञान के अभाव में ही मनुष्य अपने लक्ष्य से विमुख होकर अनीति और अन्याय के मार्ग पर फिसलता चला जाता है। ज्ञान कल्याणक महोत्सव पंच कल्याणक का सबसे महत्वपूर्ण अंश होता है।

एयरपोर्ट रोड स्थित अंजनि नगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर की मेजबानी में चल रहे श्री नेमिनाथ के जिनबिम्ब पंच कल्याण महा महोत्सव में ज्ञान कल्याणक के दौरान मुनिश्री आदित्य सागर म.सा. ने उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। पंच कल्याणक समिति के प्रमुख देवेन्द्र सोगानी, ऋषभ पाटनी एवं अशोक टोंग्या ने बताया कि सुबह सभी इंद्रों ने भगवान का जलाभिषेक किया और शांति धारा बोली के माध्यम से प्रमोद-उषा पंचोली परिवार ने विश्व शांति हेतु लाभ उठाया। इसी तरह महायज्ञ नायक इंद्र बने रोहित-पूजा गदीया एवं अन्य प्रमुख पात्रों ने भी भाग लिया। मुनिश्री का पाद प्रक्षालन प्रमोद-उषा पंचोली एवं देशभर से आए समाजबंधुओं ने किया।

मुनिश्री आदित्य सागर म.सा. ने श्रावकों को ज्ञान कल्याणक की महत्ता बताई और उन्हें संकल्प दिलवाया कि वे जैन समाज एवं अन्य किसी भी संत या साधु की निंदा नहीं करेंगे तथा उनकी सेवा कर अपने लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उन्होंने कहा कि दुर्लभ मनुष्य जीवन को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए छोटे-छोटे त्याग कर जीवन को धन्य बनाने की ओर बढ़ना चाहिए। हम जीवन में छोटे-छोटे त्याग कर स्वयं को समाज में स्थापित करने और दूसरों को श्रेय देने का अभ्यास भी कर सकते हैं। ज्ञान ही जीवन का मूल तत्व होता है। ज्ञान के अभाव में ही मनुष्य-पशु में कोई भेद नहीं रह जाता। मुनिश्री के प्रवचनों की अमृत वर्षा का पुण्य लाभ उठाने के लिए आज भी पांडाल खचाखच भरा रहा।

महोत्सव में अरिष्ट नेमिकुंवर का प्रथम आहार राजा वरदत्त के महापात्र बने आनंद –दर्शना जैन के यहां मुनिश्री एवं ससंघ ने किया। प्रतिष्ठाचार्य नितिन झांझरी के मार्गदर्शन में मुनिश्री एवं ससंघ को आहार देने के लिए श्रावकों की लंबी कतार लग गई थी। रात्रि में महाआरती का सौभाग्य महोत्सव में माता-पिता बने हेमंत –अनीता गदीया परिवार ने उठाया। अंत में अशोक टोंग्या ने आभार मना।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!