कचरा जलेगा मगर जख्म कैसे मिटेगा सहाब? स्थानी लोगो का कहना जींवन खराब करने पर आतुर सरकार?
धरा रह गया पीथमपुर में विरोध 27 फरवरी को पहला ट्रायल, तीन चरणों में होगा टेस्ट

आशीष यादव धार
यूनियन कार्बाइड (यूका) के कचरे को पीथमपुर में जलाने के विरोध में लगी याचिका पर सोमवार को सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य से जवाब तलब किए। इसके दूसरे दिन मंगलवार को हाईकोर्ट ने यूका के 337 टन जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने के आदेश दिए। हाईकोर्ट ने कचरे के निस्तारण के लिए ट्रायल रन की अनुमति दी है। बता देकि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के ट्रायल रन की मंजूरी दे दी है। इसके तहत 30 मीट्रिक टन कचरा जलाने के लिए तीन ट्रायल रन किए जाएंगे। पहले चरण में 135 किलो वेस्ट प्रति घंटा, दूसरे में 180 किलो और तीसरे चरण में 270 किलो कचरा प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार तथा विवेक जैन की युगलपीठ ने यूनियन कार्बाइड के लिए कचरे को नष्ट करने की टेस्टिंग तीन चरणों में करने के निर्देश दिए हैं। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि टेस्टिंग रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को भेजी जाए रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाए कि कचरे को कितनी मात्रा में और कितने समय अंतराल में नष्ट किया जाए। राज्य सरकार को ट्रायल रन का पहला चरण 27 फरवरी और दूसरा चरण 4 मार्च को करने को कहा गया है। तीनों चरणों की रिपोर्ट को सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड के सामने रखा जाएगा। इसके बाद कंपाइल रिपोर्ट 27 मार्च को हाईकोर्ट के सामने पेश की जाएगी। हालांकि पीथमपुर बचाओ समिति हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से स्टे लाने की तैयारी में है। गौरतलब है की 24 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में युका कचरे को लेकर सुनवाई होनी है।दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे के निपटान के लिए 6 सप्ताह का समय मांगा था। ये मंगलवार को खत्म हो गया लेकिन अभी तक सीलबंद कंटेनर खाली नहीं किए जा सके हैं।
कोर्ट में ऐसे चला बहस का दौर:
मंगलवार को सुनवाई के दौरान सर्वप्रथम वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट पूर्व आदेशों में यूनियन कार्बाइड कचरा विनिष्टीकरण को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर चुका है। इसके बावजूद राज्य शासन पालन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की दिशा में अपेक्षाकृत गंभीर नजर नहीं आ रही है। उक्त आरोप के जवाब में महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने राज्य की ओर से साफ किया कि हमने हाई कोर्ट के विगत निर्देश के पालन में जन जागृति प्रसारित करने काफी कार्य किया है। मसलन, पर्चे वितरित किए। नुक्कड़ नाटक किए। नगर निगम व जिला प्रशासन के स्तर पर चर्चा-परिचर्चा के माध्यम से वाद-विवाद-संवाद का वातावरण तैयार किया। इस प्रक्रिया में यह स्पष्ट करने का पूर्ण प्रयास किया कि हाई कोर्ट के निर्देश पर यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर तक परिवहन होकर पहुंच चुका है, जिसे वैज्ञानिक प्रविधि से जलाने से स्थानीय पर्यावरण आदि को कोई नुकसान नहीं होगा।
सरकार ने पेश की कम्प्लायंस रिपोर्ट:
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बताया कि आज राज्य सरकार ने यूनियन कार्बाइड कचरे के विनिष्टीकरण के लिए अपनी कम्प्लायंस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की। इस पर कोर्ट ने कचरे के निपटान के ट्रायल रन की मंजूरी दे दी है।इधर एसओपी और सुरक्षा मानकों की अनदेखी की याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने बिना किसी वैज्ञानिक परीक्षण के यह फैसला ले लिया, जबकि कचरा निपटान स्थल के आसपास बसे गांवों के लोगों की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट से लायेंगे स्टे:
वहीं, पीथमपुर में कचरा निष्पादन का विरोध करने वाले डॉक्टर हेमंत हीरोले, संदीप रघुवंशी ने कहा- पीथमपुर पहले से ही दूषित है। भूजल पीने योग्य नहीं है, वायु प्रदूषण भी उच्च स्तर पर है। हमने हाईकोर्ट के साथ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगाई है। जहां से स्टे मिलने की पूरी उम्मीद है।
इधर सरकार का दावा है कि सबकुछ वैज्ञानिक तरीके से होगा वहीं, सरकार का कहना है कि कचरे का निस्तारण पूरी सुरक्षा के साथ होगा और इससे किसी को कोई खतरा नहीं होगा। लेकिन प्रदर्शनकारी इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं और अब सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देने की तैयारी में हैं।
सरकार ने किया धोखा, हाईकोर्ट में नहीं रखा पीथमपुर का पक्ष:
पीथमपुर बचाओ समिति के अध्यक्ष डॉक्टर हेमंत हीरोले ने आरोप लगाया कि युका कचरे को लेकर पीथमपुर और आसपास के गांवों के लोग लगातार विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट में न तो स्थानीय जनता की आपत्तियां प्रस्तुत कीं और न ही सुरक्षा को लेकर कोई ठोस जानकारी दी। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह लोकतंत्र के खिलाफ है और सरकार जनता को धोखा देकर कचरा जलाने की तैयारी में है।
लोगों ने कहा, 2015 में जलाया, भूजल प्रदूषित:
2015 में 10 टन कचरा जलाया था। इस रिपोर्ट के आधार पर 337 टन कचरा निपटान के निर्देश दिए। पीथमपुर में रामकी प्लांट के पास तारपुरा गांव में 2000 लोग रहते हैं। उन्होंने कहा, पहले जलाए-दफनाए कचरे से भूजल प्रदूषित हो गया है।
प्रमुख आपत्तियां
* निस्तारण के लिए कोई एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) नहीं बनाई गई।
* कचरा जलाने के पहले कोई पायलट टेस्ट नहीं किया गया।
* स्थानीय लोगों को विश्वास में नहीं लिया गया।
* रेडिएशन और स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर कोई ठोस रिपोर्ट नहीं दी गई।
एंडरसन तो भाग गया, अधिकारियों को नहीं मिली सजा:
इस भीषण हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड कंपनी पर लापरवाही के आरोप लगे थे। कंपनी के मुखिया वॉरन एंडरसन समेत 11 अधिकारियों के खिलाफ गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया गया। नरसंहार के कुछ दिन बाद वॉरन एंडरसन भोपाल आया। उसके खिलाफ भी गैर जमानती एफआईआर दर्ज थी, मगर उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। एंडरसन आराम से अमेरिका लौट गया और भोपाल में जहरीला कचरा छोड़ गया, जिससे कई दशक तक लोग घुट-घुटकर मरते रहे। जब एंडरसन भोपाल से भागा, तब मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नेता अर्जुन सिंह की सरकार थी। केंद्र में राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। एंडरसन के भागने पर काफी हो-हल्ला हुआ। कंपनी पर केस चलता रहा। जून 2010 में यूनियन कार्बाइड के अफसरों को सजा मिली, मगर सेशन कोर्ट में उनकी सजा कम हो गई।