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धार जिले में 114 निःशुल्क नेत्र परीक्षण शिविरों का आयोजन, अब तक 1440 मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन हेतु चयन

आशीष यादव धार,

जिले में मोतियाबिंद के लिए इंदौर सभाग कमिश्नर दीपक सिह व कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के मार्गदर्शन में जिला अंधत्व निवारण समिति धार द्वारा जिले में 01 फरवरी से 28 फरवरी 2025 तक विशेष निःशुल्क नेत्र परीक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण एवं पहुँचविहीन क्षेत्रों में निर्धन और जरूरतमंद लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली नेत्र चिकित्सा सेवाएँ निःशुल्क उपलब्ध कराना है। जिले में कुल 114 नेत्र परीक्षण शिविरों का आयोजन किया जाना है, जिनमें से 16 फरवरी 2025 तक 78 शिविर आयोजित किए जा चुके हैं। इन शिविरों में 1440 मरीजों को मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए चयनित कर अनुबंधित अस्पतालों में भेजा गया है।
वही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी शिंदे द्वारा सामूदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तिरला का निरीक्षण किया जिसमें पानी की व्यवस्था, टिकाकरण चेक किया गया है l

अब तक 14528 मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन सफल
इस अभियान के तहत 01 अप्रैल 2024 से 16 फरवरी 2025 तक 19850 मरीजों के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 14528 मोतियाबिंद ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं। यह ऑपरेशन चोइथराम अस्पताल इंदौर, रेटिना स्पेशिलिटी अस्पताल इंदौर, अरबिंदो अस्पताल इंदौर, शंकर नेत्रालय इंदौर, जीवनज्योति अस्पताल मेघनगर, दृष्टि नेत्रालय दाहोद और जिला चिकित्सालय धार में विशेषज्ञ नेत्र सर्जनों द्वारा किए जा रहे हैं। इसके अलावा, जिला चिकित्सालय धार में प्रतिदिन डॉ. सौरभ बोराशी एवं डॉ. गरिमा वैष्णव द्वारा मोतियाबिंद ऑपरेशन किए जा रहे हैं।

धार जिले में 2515 बच्चे कुपोषण मुक्त:
बिलोदा की दिव्यांशी और तिरला के उस्ताद ने भी जीती जंग धार जिले में कुपोषण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में 2515 बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने में सफलता मिली है। बिलोदा की दिव्यांशी (पिता हीरालाल) और तिरला के उस्ताद (पिता बाबू) ने भी कुपोषण को मात देकर स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाया है।

कुपोषण मुक्ति की दिशा में सार्थक पहल:
कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के मार्गदर्शन में बनाई गई कार्ययोजना और विभिन्न शासकीय विभागों के समन्वय से इस अभियान को सफलता मिली है। अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक कुल 2515 बच्चे कुपोषण मुक्त हुए हैं, जबकि 896 बच्चे मध्यम श्रेणी में आ चुके हैं और जल्द ही सामान्य स्थिति में आने की ओर अग्रसर हैं।

बच्चों के स्वास्थ्य सुधार के लिए व्यापक प्रयास:
जिला कार्यक्रम अधिकारी सुभाष जैन ने बताया कि बच्चों के प्रति माह वजन की निगरानी की जा रही है और जरूरतमंद बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों (छत्ब्) में भर्ती कराया जा रहा है। जिन बच्चों को दवा से ठीक किया जा सकता है, उन्हें आंगनवाड़ी केंद्रों में स्वास्थ्य परीक्षण कराकर 6 प्रकार की दवाइयाँ दी जा रही हैं। कुपोषित बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से अतिरिक्त पूरक पोषण आहार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पर्यवेक्षक बच्चों के परिवारों से नियमित संपर्क में रहते हैं और साप्ताहिक गृह भेंट कर सही पोषण के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं।

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