शुरू हुई गिद्ध गणना,दो दिन दो स्थानों पर मिले चार गिद्ध जंगलों में घोंसलों की खोज करेंगे वनकर्मी सूर्योदय के साथ जंगल में गिद्धों की तलाश शुरू।
तीन दिनों तक की जाएगी गिद्धों की गणना, जंगल क्षेत्र में तलाशे जाएंगे गिद्ध, टीम गठित की

आशीष यादव धार
तेजी से लुप्त हो रही गिद्धों की प्रजातियों को खोजने के लिए वन विभाग विशेष अभियान शुरू करेगा। इस अभियान के तहत गिद्धों की मौजूदगी का पता लगाया जाएगा और उनकी संख्या का आंकलन किया जाएगा। इस अभियान के तहत सभी बीट, रेंज और डिवीजन स्तर यह कार्य किया जा रहा है वही रेंजर कमलेश मिश्रा ने बताया की गिद्ध पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं, ये मृत जीवों को खाकर प्राकृतिक सफाई का कार्य करते हैं। जिले के वनमंडल में सोमवार से तीन दिवसीय गिद्ध गणना प्रारंभ हो गई है। सुर्योदय के साथ ही वन विभाग का अमला व वालंटियरों की टीम ने गिद्धों की तलाश शुरु कर दी। पहले दिन जिले वनमण्डलों में कुल 2 गिद्ध नजर आए हैं। व दूसरे दिन भी 2 गिद्ध विभाग के कर्मचारियों ने देखा गया। आगामी दिन तक यह गणना और जारी रहेगी। गिद्ध गणना का यह कार्य सुबह 6 बजे से 10 बजे के बीच किया गया। इस दौरान वृक्ष, पहाड़ी व समतल क्षेत्र में बैठे हुए गिद्धों की संख्या दर्ज की गई, जिसे प्रोफार्मा में भरकर संबंधित वनमंडल कार्यालय को सौंप दी जाती है।
गिद्ध साल में एक ही बार अंडे देते हैं और यह प्रक्रिया चट्टानों या ऊंचे पेड़ों पर होती है। गिद्ध का जीवनकाल औसतन 15 से 30 वर्ष तक होता है।
सात रेंज व 96 बीट में शुरु हुई गणना:
धार वनमंडल के सात रेंज की 96 बीटो में 7 परिक्षेत्र 151 वनरक्षक के साथ गिद्ध गणना का कार्य प्रारंभ किया। इस दौरान मांडू वन परिक्षेत्र में खुद डीएफओ अशोक कुमार सोलंकी ने जाकर जायजा लिया और गिद्धों को दिखा वह उसकी गणना करवाई जिसमे 2 सफेद पीठ गिद्ध, देखे तो दूसरे दिन धार रेंजचाकल्या बीट में 2 इंजिप्शियन गिद्ध को देखा गया। वही यह गिद्ध को सालो बाद देखा गया। वही दो रेंज मे 4 गिद्ध को देखा गया जिसमें वन मण्डल अंतर्गत दो परिक्षेत्र में सोमवार व मंगलवार की सुबह से गिद्ध गणना का कार्य प्रारंभ किया गया। प्रथम दिवस की गिद्ध गणना सुबह 6 बजे से 8 बजे तक की गई। इस दौरान वन परिक्षेत्र मांडू में 2 नग व चाकल्या में 2 नग गिद्ध देखने मिले।
गत वर्ष क्षेत्र के जंगलों में मिले थे 2 गिद्ध:
मध्यप्रदेश में तेजी से लुप्त हो रही गिद्धो की प्रजाति का सर्वे करने के लिए वन विभाग ने वर्ष 2024 में 3 दिवसीय सर्वे किया था। इसके तहत धार वन वन विभाग की टीमो ने जंगलो का भ्रमण कर गिद्धो की गिनती की गई। इस दोरान मांडू वन परिक्षेत्र में कूल 2 गिद्ध पाये गए थे। एसडीओ धनसिंह मेड़ा के अनुसार मांडू व धार के जंगल में गिद्धो का विचारण पाया गया है। गिद्धों के लिए आदर्श वातावरण मौजूद है, जिसमें ऊंची चट्टानें, घने वृक्षों वाले क्षेत्र और जल स्रोत शामिल हैं। गिद्ध ज्यादातर खुले क्षेत्रों और चट्टानी पर्वतों पर घोंसला बनाते हैं, जहां उन्हें भोजन और सुरक्षित प्रजनन स्थल मिल सके।
गिद्धों का भोजन और आहार:
गिद्ध मुख्य रूप से मृत जानवरों के मांस पर निर्भर होते हैं। वे शिकारी नहीं होते, बल्कि प्राकृतिक सफाईकर्मी के रूप में कार्य करते हैं। वे अपनी तीव्र दृष्टि और गंधशक्ति की मदद से दूर से ही मृत जानवरों को खोज लेते हैं। उनकी स्थिति गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि वे मृत जीवों को खाकर प्रकृति की सफाई करने का कार्य करते हैं। भारत में गिद्धों की सात प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें राज गिद्ध, भारतीय गिद्ध, लंबी चोंच वाला गिद्ध, सफेद पीठ वाला गिद्ध और मिस्त्र गिद्ध प्रमुख हैं।
गिद्धों गणना जारी है।
वन मंडल में कार्यरत समस्त कर्मचारी अधिकारी अपने आवंटित एरिया में गणना का कार्य कर रहे है। वही मौके पर मैने खुद जाकर गणना का काम देखा जिसमे दो गिद्ध विचरण करते हुए देखे। वही अब तक जिले में चार गिद्धों का विचरण पाया गया है।
अशोक कुमार सोलंकी डीएफओ धार
यह जिले की गिद्धों की गणना की टीम
• जिले में सात परिक्षेत्र
• एक वनमंडलाधिकारी
• दो डिवीजन में दो एसडीओ
• जिले में सात रेंजर
• जिले में 96 बीट
• 16 वनपाल वन
• 3 उप वनक्षेत्र
• 5 वन क्षेत्रपाल
• 151 वनरक्षक