मुख्य खबरेसेंधवा

सेंधवा। समाज में शिक्षा व जागरूकता से बाल विवाह को रोका जा सकता हैं

सेंधवा। वीर बलिदानी खाज्या नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में बाल विवाह प्रतिषेध के संबंध में व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह आयोजन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश एवं सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा पारित बिंदुओं के आधार पर किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रुप डॉ जितेश्वर खरते ने अपने वक्तव्य में बताया की सर्वप्रथम बाल विवाह निषेध अधिनियम 1929 जिसे शारदा अधिनियम भी कहां जाता हैं। इसके द्वारा बाल विवाह को रोकने का प्रयास किया गया। वहीं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत विवाह की आयु सीमा लडकियों की 18 वर्ष व लड़के की 21 वर्ष की गई। साथ ही उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया की बाल विवाह को रोकने के लिए समाज का जागरूक व शिक्षित होना आवश्यक हैं। डॉ चंदा यादव ने कुछ जातियों में गर्भ में ही विवाह के तय होने संबंधी कुप्रथा की जानकारी दी। साथ ही बाल विवाह रोकने के लिए समाज को ही आगे आने पर बल दिया। प्रो. अरुण सेनानी ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम में सजा के प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए बताया की बाल विवाह होने पर करने वाले, करवाने वाले तथा शामिल होने वाले रिश्तेदारों पर भी केस होता हैं तथा सजा के तौर पर 2 वर्ष की सजा व 1 लाख का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाता हैं साथ ही उन्होंने बताया की शिशु व मातृ मृत्युदर तथा कुपोषित बच्चों क जन्म का कारण भी बाल विवाह हैं। प्रो. राजेश नावड़े सर ने बताया की बाल विवाह से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास अवरुद्ध होता हैं तथा बाल विवाह संबंधी शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1098 पर की जा सकती हैं। इस व्याख्या का संचालन प्रो. अरुण सेनानी तथा आभार प्रो. राजेश नावडे़ ने माना। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के डॉ. राकेश चौहान सर व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!