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सेंधवा। जो धर्म के मार्ग पर चलता है उसी की परीक्षा होती है

जैन स्थानक में आचार्य रामलालजी मसा के आज्ञानुवर्ती रोहित मुनीजी मसा ने दिए प्रवचन।

सेंधवा। जो अच्छा कार्य करेगा उसकी कसौटी होती है। जिस प्रकार जो व्यापार करता है, उसी को नफा नुकसान होता है। उसी प्रकार जो धर्म के मार्ग पर चलता है उसी की परीक्षा होती है। वास्तव में शूरवीर व्यक्ति ही धर्म कर सकता है।
उक्त प्रवचन सोमवार को देवी अहिल्या मार्ग स्थित जैन स्थानक में आचार्य रामलालजी मसा के आज्ञानुवर्ती रोहित मुनीजी मसा ने दिए।
आपने कहा कि छोटे से छोटे जीव के प्रति अनुकंपा का भाव होना एवं जीवों की रक्षा करना ही धर्म है। शास्त्र तो यहां तक कहते है कि धर्म के लिए प्राण जाये तो चलेगा पर धर्म नहीं जाना चाहिए। याद रखना जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। हमारे पूर्व गुरूओ ने, संतो ने दया धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए। ऐसे शूरवीरो के कारण ही हमारा धर्म सुरक्षित है। पर हम धर्म की रक्षा के लिए थोडा भी कुछ करने को तैयार है क्या? हम स्वयं चितंन करें कि हमारी धर्म के प्रति कितनी दृढ श्रद्धा है। हमारे महापुरूषों ने जो दया धर्म के लिए जो सिद्धांत हमें बताए है, हम उनका कितना पालन कर रहे है। दया करूणा का जो सिद्धांत हमारे महापुरूषों ने बताए वह केवल धर्म स्थान में ही नहीं 24 घंटे हमारे जीवन में होना चाहिए। हमें यह विचार करना है कि हम धर्म के मर्म को समझ रहे हेै या नही ?
उक्त धर्मसभा मे बीएल जैन, छोटेलाल जोगड़, प्रकाश सुराणा, नंदलाल बुरड़ प्रेमचंद सुराणा, महेश मित्तल, राजेन्द्र कांकरिया, महावीर सुराणा, सुरेश ओस्तवाल, कुलदीप पाटीदार, भूषण जैन, पिन्टु सखलेचा, मनिष बुरड, डॉ. अश्विन जैन सहित अन्य शहरों से पधारे अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।

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