सेंधवा। यदि बच्चों को अच्छे एवं धार्मिक संस्कार नहीं दिए तो वह कभी भी गलत मार्ग पर जा सकते है
जैन स्थानक में आचार्य रामलालजी मसा के आज्ञानुवर्ती रोहित मुनीजी मसा ने प्रवचन दिए।
सेंधवा। बडी विडंबना है कि आज हम भौतिक शिक्षा के लिए तेा अपने बच्चों को हम 5-7 वर्ष के लिए अपने से दुर मुबंई, पुना, हैदराबाद या लंदन- कनाडा भेज देते है, पर धार्मिक संस्कारों के लिए, आध्यात्मिक शिक्षा के लिए साधु-संतो के पास 10-15 दिन के लिए नहीं भेज पाते है। जबकि हम अच्छी तरह जानते है कि यदि हमने बच्चांे को अच्छे एंव धार्मिक संस्कार नहीं दिए तो वह कभी भी गलत मार्ग पर जा सकता है। पर फिर भी हम पता नहीं क्यों जानकर भी इन बातों से अनजान बन रहेे है। ये विचार आज देवी अहिल्या मार्ग स्थित जैन स्थानक में आर्चाय रामलालजी मसा के आज्ञानुवर्ती रोहित मुनीजी मसा ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सिर्फ बच्चों का पढाना और विवाह करना ही माता- पिता का दायित्व नहीं है। अपने बच्चों को उचित संस्कार देना, जिससे वह स्वकल्याण व परकल्याण कर सके, उसके लिए सक्षम बनाना यह भी माता पिता का कर्तव्य है।
संस्कार विहिन शिक्षा से जीवन पतन के मार्ग पर जाएगा-
आज व्यक्ति केवल अपने बच्चो को अंग्रेजी संस्कारों वाले विद्वालय में शिक्षित कराना चाहता है, चाहे वहां संस्कार मिल रहे हो या नहीं इस पर हमारा ध्यान नहीं होता है। ध्यान रखना ऐसी शिक्षा प्राप्त करके वह केवल भौतिक संपन्नता के रास्ते पर आगे बढ सकता है, परंतु यदि बच्चों का संस्कार विहिन शिक्षा मिलती है तो उसका और हमारा दोनों का जीवन पतन के मार्ग पर जाने वाला है। आज जो वृद्धाश्रम बढ रहे है, इसके पीछे सबसे बडा कारण यही है कि आज नई पिढी में धार्मिकता व संस्कारों की कमी हो गई है। ध्यान रखना कि इसके लिए कहीं ना कहीं हम स्वयं दोषी है। विडबंना यह है कि हम दुखद परिणाम भोगने के लिए तैयार है, पर अपने बच्चों को सही मार्ग पर लाने के लिए, संस्कारवान बनाने के लिए प्रयास करने को तैयार नही है। इसलिए अपने बच्चों को संस्कारवान बनाने पर विशेष ध्यान दीजीए।
मसा ने कहा कि हर माता पिता को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को जन्म देना ही पर्याप्त नहीं हेै। उन्हें सही मार्ग पर आगे बढाना भी हमारा मूल दायित्व है। इसके लिए हमें उन्हे धर्म से जोड़ना होगा। साधु संतो से समागम करवाना होगा। उन्हंे संस्कारवान बनने के लिए प्रेरित करना होगा। हमें समय समय पर बच्चों को व्रत नियम लेने के लिए प्रेरणा देना चाहिए। व्रत नियम से जीवन मे दृढता आती है। उक्त धर्मसभा में बी.एल. जैन, छोटेलाल जोगड़, नंदलाल बुरड़, महेश मित्तल, अशोक सकलेचा, राजेन्द्र कांकरिया, महावीर सुराणा, सुरेश ओस्तवाल, भुषण जैन, मनिष बुरड, सहित बहार गाव से आए अनेक श्रावक-श्राविकाऐं उपस्थित थे।