सनातनी धर्म-संस्कृति से ही मार्क्सवादी हमलों से बचाव संभव
– इंदौर। विश्व संवाद केंद्र, मालवा प्रांत के प्रतिष्ठित आयोजन नर्मदा साहित्य मंथन ’अहिल्या पर्व’ के पहले सत्र में विचारक डा. पवन विजय ने ’कल्चरल मार्क्सवाद का परिवारों पर प्रभाव’ विषय पर अपने विचार रखे। डा. विजय ने कहा, भारतीय समाज की चार प्रमुख इकाईयां है, जिसे हम विचार, धर्म, परिवार और समाज कहते है। इन चारों पर मार्क्सवादी लगातार हमले कर रहे है और इन हमलों का उद्देश्य केवल हमें कमजोर करना है। लैंगिक असमानता, समलैंगिकता और फैमिनिज्म जैसे मुद्दों को समाज में स्थापित करने की कोशिश हो रही है। साहित्य से लेकर फिल्मों को माध्यम बनाया जा रहा है। मार्क्सवादी हमारी संस्कृति के विरोध करने वाले तत्वों को सामाजिक व्यवस्था में एक एजेंडे के साथ स्थापित करने में लगे हुए है। मार्क्सवाद वास्तव में स्थापित व्यवस्था के खिलाफ बात करता है, जिसमें परिवारों को तोड़ना भी शामिल है। मार्क्सवाद वास्तव में एक मजहब है, एक रिलीजन है, जिसकी अपनी विचारधारा है। मार्क्सवाद का ही प्रभाव है कि हर नकारात्मक संस्कृति जैसे सिंगल पैरेंटिग, लिव इन, डिवोस सेलिब्रेशन जैसी संस्कृति को प्रमोट किया जा रहा है। मार्क्सवाद हमलों से हमें केवल हमारा धर्म, संस्कृति, मर्यादा, त्याग, धर्म, परंपरा ही बचा सकती है। परिवारों के मुखिया की भूमिका इसमें सबसे महत्वपूर्ण है। संचालन चेतन मीणा ने किया।