स्वास्थ्य सेवा में क्रांति: आधुनिक चिकित्सा में बैरिएट्रिक सर्जरी का बढ़ता प्रभावडॉ
अचल अग्रवाल, कंसल्टेंट शैल्बी अस्पताल, निदेशक– इंदौर लैप्रोस्कोपी सेंटर
इंदौर । भारत में, जहां बढ़ता मोटापा तेजी से एक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है, बैरिएट्रिक सर्जरी एक जबरदस्त समाधान के रूप में उभर रही है। शहरीकरण, बदलती खानपान आदतें और बिगडती जीवनशैली जैसे कारणों से मोटापे से संबंधित बीमारियां, जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग, तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में प्रभावी और टिकाऊ वजन घटाने के उपायों की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गयी है।
बैरिएट्रिक सर्जरी सिर्फ वजन घटाने के लिए एक समाधान मात्र नहीं है बल्कि यह स्वास्थ्य को दोबारा ठीक करने और जीवन को नई दिशा में बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। नई इनवेसिव टेक्नोलॉजी और मल्टीडिसिप्लिनरी केयर मॉडल जैसे नए तरीको की वजह से, यह जीवन बदलने वाली सर्जरी अब भारतीय मरीजों के लिए पहले से ज्यादा आसन और सुरक्षित हो गई है।
“भारत में बैरिएट्रिक समाधानों की बढ़ती मांग”
भारत में मोटापे से पीड़ित लोगों की संख्या कई लाख में है और मोटापे से संबंधित बीमारियों के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जो बच्चों और युवा वयस्कों तक पहुंच चुके हैं। कई लोगों के लिए, पारंपरिक उपाय जैसे डाइट और एक्सरसाइज गंभीर मोटापे से निपटने के लिए दीर्घकालिक परिणाम नहीं दे पाते। बैरिएट्रिक सर्जरी, जैसे गैस्ट्रिक बाईपास, स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी और एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंडिंग, एक बेहतरीन समाधान प्रदान करती है, जो पाचन तंत्र को बदलकर जरुरी और लम्बे समय तक वजन को नियंत्रित रखते हैं।
जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे बैरिएट्रिक सर्जरी की मांग भी बढ़ रही है। भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में बैरिएट्रिक प्रक्रियाओं में हर साल 25-30% की बढ़ोतरी हो रही है। यह बढ़ोतरी लोगो की सोच में सकारात्मक बदलाव को दिखाती है, जहां अब ज्यादा मरीज इन उपचारों के लम्बे समय में होने वाले लाभों को समझ रहे हैं। यह केवल वजन घटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि टाइप 2 डायबिटीज को ठीक करने और हृदय के स्वास्थ्य में सुधार जैसे फायदे भी पहुंचता है।
प्रसिद्ध बैरिएट्रिक सर्जन डॉ. अचल अग्रवाल ने इन प्रक्रियाओं के ट्रांस्फोरमेटिव प्रभाव को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि “बैरिएट्रिक सर्जरी सिर्फ वजन घटाने से सम्बंधित नहीं है; यह मरीजों को नई आशा के साथ नई जिंदगी भी देती है। बढ़ती टेक्नोलॉजी और मल्टीडिसिप्लिनरी अप्रोच के साथ, हम न केवल लोगो को वजन घटाने में मदद करते है, बल्कि मोटापे से संबंधित बीमारियों जैसे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित कर सकते हैं, जिससे उनके जीवन में काफी सुधार होता है।”
“बैरिएट्रिक सर्जरी में अत्याधुनिक इनोवेशंस”
तेज़ी से बढ़ती टेक्नोलॉजी ने बैरिएट्रिक सर्जरी में क्रांति ला दी है, जिससे यह पहले से ज्यादा सुरक्षित और इफेक्टिव बन गई है। लैप्रोस्कोपिक सर्जरी जैसी न्यूनतम इनवेसिव टेक्नोलॉजी ने रिकवरी का समय, अस्पताल में रहने की अवधि और सर्जरी से जुड़े जोखिमों को काफी हद तक कम कर दिया है। ये प्रक्रियाएं अब भारत के प्रमुख अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध हैं , जिससे मरीज तेजी से रिकवरी कर सकते हैं और जल्दी ही साधारण जीवन में वापस लौट सकते हैं।
आधुनिक सर्जिकल टूल्स के साथ न्यूनतम इनवेसिव टेक्नोलॉजी में इनोवेशन ने बढ़ते मोटापे के लिए बैलेंस बनाने में नए मानक स्थापित किए हैं, जो बैरिएट्रिक प्रक्रियाओं के दौरान मरीजों के लिए सुरक्षा और प्रभावशीलता दोनों सुनिश्चित करते हैं।
मल्टीडिसिप्लिनरी केयर की भूमिका
बैरिएट्रिक सर्जरी सिर्फ एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं है , यह बेहतर स्वास्थ्य की ओर एक संपूर्ण यात्रा का हिस्सा है। भारत के प्रमुख अस्पताल और क्लीनिक अब मल्टीडिसिप्लिनरी केयर को अपनाते हैं, जिसमें पोषण विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक और फिजिकल थेरेपिस्ट जैसे एक्सपर्ट्स की टीम शामिल होती है। यह कॉम्प्रेहेंसिव मॉडल न केवल सफल वजन घटाने को सुनिश्चित करता है, बल्कि स्वास्थ्य समस्याओं के मैनेजमेंट और जीवनशैली में स्थायी बदलाव लाने में भी मदद करता है।
उदाहरण के तौर पर, मरीजों को सर्जरी और उसके प्रभावों के लिए तैयार करने के लिए काउंसलिंग दी जाती है, जिसके बाद उनके लिए विशेष रूप से तैयार किए गए डाइट और एक्सरसाइज प्लान बनाए जाते हैं। इस व्यक्तिगत देखभाल पर जोर यह सुनिश्चित करता है कि बैरिएट्रिक सर्जरी के लाभ न केवल महत्वपूर्ण हों, बल्कि लंबे समय तक टिकाऊ भी रहें।
बैरिएट्रिक सर्जरी से जुडी भ्रांतियों को तोड़ना
बैरिएट्रिक सर्जरी ने प्रभावशीलता को मेडिकल के क्षेत्र में साबित कर दिया है , लेकिन इसे लेकर कई भ्रांतियां जुड़ी हुई हैं। कुछ लोग इसे “आसान उपाय” के रूप में देखते हैं, लेकिन यह सोच मोटापे से जुडी समस्याओं को एक गंभीर समस्या मानने के पक्ष में नहीं रहती, परन्तु इसमें क्लिनिकल इंटरवैनशन की बेहद आवश्यकता होती है।
भारत में स्वास्थ्य सेवा इस चुनौती से निपटने के लिए मरीज शिक्षा अभियान, जागरूकता कार्यक्रम और उन लोगों की कहानियां साझा कर रहे हैं, जिन्होंने सफलतापूर्वक यह सर्जरी करवाई है। उदाहरण के लिए, मुंबई की 38 वर्षीय गृहिणी ने स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी के बाद मोटापे से लड़ाई जीतने की अपनी यात्रा साझा की,