इंदौर

सेवा सुरभि के मंच पर गूंजे देश के प्रख्यात कवियों की कालजयी रचनाओं के स्वर

जानकी बैंड आफ वुमन की महिला कलाकारों ने सुरों में बांधा कविताओं को और किया  सस्वर सम्यक गान 

सेवा सुरभि के मंच पर गूंजे देश के प्रख्यात कवियों की कालजयी रचनाओं के स्वर
श्री जानकी बैंड आफ वुमन की महिला कलाकारों ने सुरों में बांधा कविताओं को और किया  सस्वर सम्यक गान
इंदौर 19 जनवरी । यह एक अपने प्रकार का अनूठा, अभिनव और नवाचार से भरा संगीत कार्यक्रम था, जिसमें महिला कलाकारों ने देश के विख्यात राष्ट्रीय कवि, साहित्यकार, और गीतकारों की लिखी हुई  कालजयी रचनाओं को  संगीत की सुर लहरियों में बांध कर सामूहिक रूप से उनका गायन किया।  इन रचनाओं में माटी की सौंधी महक, देश प्रेम , करूणा, सदभाव, वीरता और भाईचारे के संदेश थे। यह आयोजन संस्था सेवा सुरभि के झंडा ऊंचा रहे हमारा अभियान के तहत आज सुबह जाल सभाग्रह में आयोजित किया गया ।
जबलपुर के इस महिला बैंड की सभी महिलाओ ने गायन के साथ वादन की भी अदभुत प्रस्तुति देकर खचाखच भरे जाल सभागृह को देश भक्ति और राष्ट्र प्रेम के रंग में भाव विभोर कर दिया।प्रारंभ में पद्मश्री जनक पलटा, उद्योगपति वीरेंद्र गोयल एवं नारायण अग्रवाल ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम शुरू होने के पहले ही श्रोताओं से भर गया था। शुरुआत छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की रचना भारत माता ग्राम वासिनी…  से हुई। उसके बाद  बुंदेल खंड का गीत – भजो रे मन मोरे रघुवर,,,,,, का सम्यक गान हुआ। लोक संगीत मे घुली इस रचना में मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम के  अनुशासित जीवन के साथ राम  लखन के प्रेम को दर्शाया गया था और जब राष्ट्कवि माखनलाल चतुर्वेदी  की कालजयी रचना – चाह नहीं मैं सुर बाला के गहनों में गूंथा जाऊ ,,,, ,,,को सुनाने का क्रम आया तो कुछ देर के लिए सभागृह में उत्सुकता का माहौल बन गया। इस कविता ने युवा से लेकर उम्रदराज लोगो को भी अपने बचपन की याद दिला दी ।
छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद की रचना – अरुण यह मधुमेय देश हमारा,,,,हो या  राष्टीय कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान की रचना – वीरों का कैसा हो बसंत,,,, के सामूहिक स्वर में प्रकृति के शृंगार , सौंदर्य के साथ  होली पर्व पर लोक गीत – भारत में मची है होरी रे होरी रे,,,  पर खूब दाद मिली। सबसे अधिक दाद मिली गोंडवाना की महारानी   दुर्गावती के शौर्य और सेवा कार्यो पर समर्पित गीत – दुर्गाजी की जय बोलो, दुर्गावती बड़ी मर्दानी महारानी, ,गीत पर।
इन महिला गायकों ने सुभद्रा कुमारी चौहान की कालजयी रचना- खूब लड़़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी, सुनाकर खूब तालिया बटोरी और समापन बांगला साहित्यकार बंक्रिमचंद्र चटोपाध्याय की अमर रचना  वंदेमातरम् से किया जिसे श्रोताओं ने पूरे समय खड़े हो कर सुना।
         इस  कार्यक्रम की खास विशेषता यह रही कि  सभी 11 महिला कलाकारों ने हारमोनियम से लेकर  गिटार, तबला, की बोर्ड और शंख तक बजाया और सभी ने एक साथ सामूहिक गान भी किया। सबको सभी रचनाएँ कण्ठस्थ थी। अतिथि स्वागत ज्योति जैन, प्रीति दुबे, अर्पिता तिवारी ने किया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन  संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने किया। आभार माना सेवा सुरभि के संयोजक  ओमप्रकाश नरेडा ने।
इस मौके पर पूर्व महापोर् डॉ. उमाशशि शर्मा, पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा,अतुल सेठ, मोहन अग्रवाल, अनिल मंगल, डॉ. ओ. पी. जोशी, डॉ. रजनी भंडारी, डॉ. दिलीप वाघेला, डॉ. शंकरलाल गर्ग, कीर्ति राणा,कुमार सिद्धार्थ,  हरेराम वाजपेयी सहित बड़ी संख्या में  गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। बैंड दल को संस्था की ओर से अरविन्द जायसवाल, अनिल मंगल, कुमार सिद्धार्थ ने अटलजी की कविता ’ऊंचाई ’ को स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट किया जिसका वाचन संजय पटेल ने किया।
श्री जानकी  बैंड के प्रमुख और  संगीत निर्देशक देवेंदर सिंह ग्रोवर और डॉ. क्षिप्रा सुल्लरे  सहित सभी कलाकारों के सम्मान के साथ समापन हुआ।

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