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धार; यह कैसी स्वच्छता साहब….. कचरे के ढेर पर शहर जिम्मेदार काट रहे चांदी, संसाधन के बावजूद कचरा हो रहा शहर लापरवाही से बदरंग हो रहा धार

हर महीने करोड़ो रुपए की तनख्वाह लेने के बाद भी शहर के स्वच्छता के आलम ऐसा की लोगो का निकलना मुश्किल।

धार। आशीष यादव। हर रोज स्वच्छता के नाम पर धार नगर पालिका लाखो रुपए का बट्टा लग रहा है उसके बाद भी शहर में स्वच्छता के हाल तास के मस नही ह्यो रहे हैं। शहर भर में जगह-जगह कचरो के ढेर लगे हैं। वहीं कर्मचारियों का सफाई के नाम पर बस खाना पूर्ति कर इति श्री कर लेते हैं। वही जिम्मेदार रोज में सफाई होने की बात करते है मगर फिर भी शहर में सफाई होते नजर नही आ रही है। देशभर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत मिशन चलाया जा रहा है. हर साल जारी होने वाले स्वच्छ सूची में धार का नाम दिखाई नही देता है। जबकि निचली बस्तियों में ना तो कचरा गाड़ी जा रही है और ना ही यहां के लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया गया। शहर की निचली बस्तियों में ही सबसे अधिक गंदगी और कचरा पसरा रहता है।

जमीन पर कचरा हवा में अभियान-
कर्मचारियों द्वारा स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाती दिखाई दे रही है. नगर में स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से गंदगी का अंबार लग गया है.वार्डों में कई जगहों पर फैली गंदगी के अधिकांश वार्डों में कचरे का ढेर लगा हुआ है. कार्यालय के पास
कुछ कदमो की दूरी ओर ही स्वच्छता की पोल खुलते हुए नजर आ रही है। शहर में कही जगह तो ऐसी है कि वहां साफ सफाई हफ्ते में एक बार होती है, लेकिन गंदगी का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है.गंदगी की समस्या इतनी बढ़ गई है कि नालियां नालियों से गंदा पानी बहार आने लग गया है रही। निकलने वाली जनता के साथ मोहल्लों में बदबू के कारण रहना मुश्किल हो गया है. शिकायतें करने के बावजूद अधिकारी सुनवाई नहीं करते. स्वच्छता के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत में सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।

दो कम्पनियों को दिया काम
स्वच्छता में नंबर वन आने के लिए दो निजी कंपनियों को ठेका दे रखा है, वहीं स्वयं नगर पालिका में 725 कर्मचारी है तो सफाई में लिए 500 सफाई कामगार है तो शहर में कचरा उठाने 38 वाहन चलते है और कुक 50 अधिक वहान गाड़ियां नगर पालिका के पास है। वही कर्मचारी झाडू आदि लेकर रोज दौड़ लगा रहे हैं। शहर में लगभग 150 डस्टबिन लगे हैं तो प्रतिदिन 40 टन कचरा उठाने का दावा भी हो रहा है। वही दूसरी ओर शहर में इसकी शहर भर में नगर पालिका द्वारा लगाए गए डस्टबिन ही खोल रहे हैं, जिनकी एक-एक सप्ताह तक सफाई नहीं होती। शहर को स्वच्छता में नंबर वन बनाने के लिए कागजी खानापूर्ति कर लाखों रुपए की चपत लगाई जा रही है।

जनता के बीच जाकर जिज्ञासा जगाना होगी
नगर परिषद व आम जनता में विकास की जिज्ञासा जगाना होगी तभी धार नगर सफाई में सिरमौर हो सकता है। नगर की जनता हर कार्य में नगर के साथ है तो फिर सफाई में पीछे क्यों। वहीं नगर परिषद को इसके लिए जमीनीस्तर पर उतरकर काम करना ह्यो यहा कर्मचारियों खुद को सीएमओ समझकर साहब गिरी लगते है और जमीन पर कुछ नही होता है वही अगर किसी व्यक्ति द्वारा किसी कर्मचारी को सफाई के लिए कहते है तो बिना पैसे कोई काम नहीं करता है। शहर में दुकानदारो पर कार्रवाई करना चाहिए जो कचरा रोड पर फेंकते हैं। वही सबसे ज्यादा गंदगी शहर में जगह जगह लगी दुकान संचालक करते है।

जिम्मेदार अधिकारियों को होना सख्त
अगर शहर में स्वच्छता को लेकर सख्त करवाई कर्मचारियों पर भी की जाए तो शहर की व्यवस्था सुधरेगी। इस और सीएमओ कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करना होगी । साथ ही इंजीनियर व सफाई कर्मियों पर विशेष ध्यान देना होगा तभी कुछ फायदा होगा। यहां नगर परिषद में कार्यरत इंजीनियर खुद सख्त रवैया नहीं अपनाते हैं, जिससे आमजन सफाई की ओर ध्यान नहीं देते। वहीं धार में इंजीनियर जो कार्य सौपे है वही अपने कार्य स्थल पर भी जाकर नहीं देखते है कि उनको कौन से वार्ड दिए हुए बस कागजो के घोड़े दौड़कर इति श्री कर ली जाती है।

शहर की छवि को खासा नुकसान
शहर की हालत ऐसी है। जिला मुख्यालय के सबसे व्यस्त मार्ग कलेक्टर पर मुख्य नाला चौक हो गया है वहीं नाल चौक होने के कारण रोड के किनारे पानी भर गया है वहीं पानी खराब हो गया उसके बाद अधिकारी कुंभकरण की नींद सोए हुए हैं। समय रहते नाला साफ नही होता है तो रहवासियों खे लिए बीमारी का घर ह्यो जायेगा। कही इलाके में जगह-जगह खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है। इससे न सिर्फ गंदगी बढ़ रही है बल्कि स्वच्छता सर्वेक्षण के कार्यक्रम को भी पलीता लग रहा है।

यह है नपा का स्वच्छता अमला और साधन
30 कुल वार्ड शहर में
1.5 लाख जनसंख्या (लगभग)
30 से अधिक कचरा गाड़ियां
500 सफाई कामगार और कचरा गाड़ी चालक
150 से अधिक डस्टबिन शहर में लगे
40 टन से प्रतिदिन कचरा उठाने का दावा
1 करोड़ से अधिक त्वंखा नगरपालिका से कर्मचारियों मिलती है

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