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सेंधवा; शिक्षा, धर्म और देशसेवा का उदाहरण बने हार्दिक प्रेमचंद सुराणा

सेंधवा। साल 2015 में सेंधवा (म.प्र.) निवासी श्री लालचंद सुराणा के सुपौत्र हार्दिक प्रेमचंद सुराणा ने IIT रुड़की से M.Tech. के दौरान अपने उत्कृष्ट एकेडमिक प्रदर्शन के कारण जर्मनी जाने का अवसर प्राप्त किया। बर्लिन में बिताए सात महीनों में उन्होंने न केवल वहां की शैक्षणिक प्रणाली को करीब से जाना, बल्कि प्रोफेसरों और अनुसंधान के स्तर से भी गहराई से परिचित हुए। इस दौरान उन्हें यह अहसास हुआ कि उन्हें यह मौका उनकी योग्यता के साथ-साथ उनके धर्म संस्कार और भारतीय होने के कारण भी मिला। यह अनुभव हार्दिक के लिए बेहद प्रेरणादायक साबित हुआ और उन्होंने भविष्य में इस अवसर का ऋण चुकाने का निश्चय किया।

2016 में अपनी M.Tech. की पढ़ाई को टॉप ग्रेड के साथ पूरा करने के बाद हार्दिक को IIT रुड़की में तीन प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जर्मनी में मिले अनुभव ने उन्हें Ph.D. करने के लिए वहां लौटने का संकल्प दिलाया ताकि वे भविष्य में इस अनुभव से भारतीय शिक्षा और अनुसंधान में योगदान दे सकें ।

शोध और सफलता का सफर

अपनी M.Tech. की पढ़ाई के बाद, हार्दिक ने IIT गांधीनगर में एक साल तक रिसर्च फेलो के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने अनुसंधान में गहरी रुचि और विशेषज्ञता विकसित की। उनकी मेहनत रंग लाई, और 2017 में उन्हें DAAD की स्कॉलरशिप के तहत जर्मनी की टेक्निकल यूनिवर्सिटी बर्लिन में 3D कंप्यूटर विजन में Ph.D. करने का सुअवसर मिला।

Ph.D. के दौरान हार्दिक ने अपने शोध को भारत में उपयोगी बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने सर्जिकल नेविगेशन उपकरण निर्माण से जुड़ी कंपनियों के साथ रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर काम किया। उनके शोधकार्य को 10 अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस और जनरल्स में प्रकाशित किया गया, जो उनके गहन अध्ययन और परिश्रम का प्रमाण है। दिसंबर 2022 में हार्दिक ने अपनी Ph.D. पूरी की और “डॉ. हार्दिक सुराणा” कहलाए।

सुकून भरी नौकरी, लेकिन नजर लक्ष्य पर

Ph.D. पूरी करने के बाद हार्दिक प्रेमचंद सुराणा ने भारत में प्रोफेसर बनने के अपने सपने की तैयारी शुरू कर दी। भारत के IITs और टॉप NITs में प्रोफेसरशिप के लिए उच्चस्तरीय शैक्षणिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ एक मजबूत शोध प्रस्ताव की आवश्यकता होती है। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए हार्दिक ने तैयारी के दौरान बर्लिन में हिताची रेल में सीनियर डाटा साइंटिस्ट के रूप में काम करना शुरू किया।

हालांकि स्थायी नौकरी और उच्च वेतन के सुकून के बावजूद हार्दिक का लक्ष्य स्पष्ट था – अपने देश भारत लौटकर शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देना। इस नौकरी के दौरान उन्होंने इंडस्ट्रियल रिसर्च का अनुभव लेते हुए अपनी विशेषज्ञता को और मजबूत किया। नौकरी में व्यस्त रहते हुए भी उन्होंने लगातार भारतीय संस्थानों में प्रोफेसरशिप के लिए आवेदन करना जारी रखा।

BITS पिलानी में नई शुरुआत: आदर्शों की प्रेरक मिसाल

2024 में हार्दिक प्रेमचंद सुराणा ने अपने आदर्शों और मूल्यों के प्रति निष्ठा रखते हुए एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। चंद महीनों की कड़ी मेहनत और तीन चरणों की लंबी चयन प्रक्रिया के बाद, उनका चयन BITS पिलानी के कंप्यूटर साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुआ।

राजस्थान में स्थित BITS पिलानी भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक है, अगस्त 2024 में इस प्रतिष्ठित ऑफर को स्वीकार करने के बाद हार्दिक और उनके परिवार के लिए यह खुशी का पल था।

अपने नैतिक मूल्यों और शिक्षा के प्रति समर्पण को प्राथमिकता देते हुए, हार्दिक ने हिताची रेल में एक करोड़ रुपये के आकर्षक पैकेज को ठुकराकर BITS पिलानी में 18 लाख रुपये के पैकेज पर काम करने का निर्णय लिया। यह उनके आदर्शों और सेवा-भावी दृष्टिकोण को उजागर करता है। उनका मानना है कि पैसा जीवन का एक पहलू है, लेकिन परिवार, धर्म, समाज और देशसेवा कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।

शिक्षा के जरिए धर्म और सेवा का विस्तार

हार्दिक अपनी इस प्रेरणा का श्रेय अपने धर्मगुरु आचार्य प्रवर पूज्य गुरुदेव श्री उमेशमुनिजी म.सा. ”अणु” एवं परम पूज्य गुरुदेव श्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा. को देते हैं, जिनसे उन्होंने जीवन में सच्चे अर्थों में धर्म का महत्व समझा। उनके पिताजी प्रेमचंदजी सुराणा, जो धर्मनिष्ठ और सेवा भावी व्यक्ति हैं, हार्दिक के जीवन के दूसरे प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने हार्दिक को यह शिक्षा दी कि जीवन में काम के साथ धर्म और सेवा को भी उतना ही महत्व देना चाहिए।

इन्हीं आदर्शों पर चलते हुए हार्दिक ने शिक्षा के क्षेत्र को अपने केरियर के रूप में चुना, जो उनके लिए न केवल एक पेशा है बल्कि धर्म की सेवा का एक माध्यम भी है।

सपनों की राह में जीवनसंगिनी का अटूट साथ

हार्दिक यह बात खुले दिल से स्वीकार करते हैं कि उनकी जीवन यात्रा में उनकी धर्मपत्नी मेघा का साथ न केवल एक प्रेरणा रहा, बल्कि हर मुश्किल समय में उनका सहारा भी बना। विदेश में बिताए पांच सालों के दौरान, जहां बर्लिन की चकाचौंध और आकर्षक जीवनशैली किसी को भी प्रभावित कर सकती थी, मेघा ने सादगी और वतन के प्रति लगाव को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने न केवल हार्दिक का हौसला बढ़ाया, बल्कि उन्हें यह याद दिलाया कि उनकी असली पहचान और उद्देश्य अपने वतन भारत लौटकर शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने में है। मेघा की यह सोच और निरंतर प्रोत्साहन हार्दिक के लिए बेहद प्रेरणादायक साबित हुए।

विदेश में रहने वालों के लिए संदेश

हार्दिक ने विदेश में रह रहे भारतीयों को यह संदेश दिया कि विदेशी संस्कृति शुरुआत में आकर्षक लग सकती है, लेकिन स्थायी निवास के अनुकूल नहीं है। व्यक्ति को अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। उनका मानना है कि विदेश में डिग्री या अनुभव प्राप्त करना सही हो सकता है, लेकिन पैसा कमाने के लिए वहां स्थायी रूप से बसना जीवन का उद्देश्य नहीं होना चाहिए।

हार्दिक प्रेमचंद सुराणा की कहानी इस बात का उदाहरण है कि कैसे शिक्षा, परिश्रम और मूल्यों के प्रति समर्पण किसी भी व्यक्ति को अपने लक्ष्य तक पहुंचा सकते हैं। दिसंबर 2024 में BITS पिलानी में अपनी नई भूमिका शुरू करने जा रहे हार्दिक देश के युवाओं को प्रेरणा देने के साथ-साथ भारत की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में सतत प्रयत्नशील रहेंगे ।

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