सेंधवा; गीता जयंती महोत्सव; सत्यानारायण मंदिर में हुए आयोजन, गीताजी का सामूहिक अनुष्ठानिक पाठ और महा आरती की गई
सेंधवा। गीता सुगीता करने योग्य है, अर्थात् श्रीगीताजी को भली प्रकार पढ़कर अर्थ और भाव सहित अन्तःकरण में धारण कर लेना मुख्य कर्तव्य है, जो कि स्वयं पद्मनाभ भगवान् श्रीविष्णु के मुखारविन्द से निकली है। उक्त उद्गार गीता जयंती के उपलक्ष्य पर शहर के सत्यनारायण मंदिर में आयोजित गीता जयंती महोत्सव पर वैद्य जी परिवार एवं आचार्य विद्वतजनों द्वारा कहे गए।
प्रत्येक वर्षानुसार इस वर्ष भी गीता जयंती महोत्सव धूमधाम एवं हर्षाेल्लास से शहर के सत्यनारायण मंदिर में मनाया गया । इस अवसर पर शहर के वैद्य जी परिवार द्वारा श्रीमद्भागवतगीता जी एवं धार्मिक ग्रन्थों की झांकी सजाई गई। सुबह 9 बजे श्री कृष्ण स्वरूप भगवान सालाग्राम जी का षोडशोपचार से पूजन अभिषेक किया गया। तत्पश्चात आचार्य पंडित राधाकिशन जी व्यास एवं पंडित रमेश जी शर्मा एवं उपस्थित धर्मावलंबियों द्वारा गीता जी का सामूहिक अनुष्ठानिक पाठ किया गया। तत्पश्चात दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर महा आरती की गई। जिसके बाद प्रसाद वितरित किया गया।
इस अवसर पर वैद्य जी परिवार एवं आचार्याें द्वारा गीता जी के जीवन में महत्व पर प्रकाश डाला गया। जिसमें बताया गया कि वर्तमान परिपेक्ष्य में श्रीमद भागवत गीता को जीवन मे उतारना अत्यंत आवश्यक है। गीता जी मनुष्य मात्र को जीवन मे धर्म और कर्म के सामंजस्य से जीवन जीना सिखाती है। किस प्रकार कर्माे के मोह विरक्त रहकर कर्म करते रहना चाहिए। प्रत्येक परिस्थिति को ईश्वर का उपहार मानकर अपने कर्मपथ पर अडिग रहना चाहिए। प्रत्येक कर्म को करते हुए यह भाव होना चाहिए, की यह कर्म ईश्वर द्वारा प्रदान किया हुआ कर्म है। इसे मैं उसी की इच्छा स्वरुप मानकर कर रहा हूं, अपितु वो ही मुझसे करवा रहा है।
60 वर्षाें से निभा रहे परंपरा –
गीता जयंती महोत्सव की परंपरा शहर के वैद्य जी परिवार के आधार स्तंभ स्व. आचार्य वैद्य गजानंद शर्मा द्वारा करीब 60 वर्षाे पूर्व शुरू की गई थी। उसके बाद से प्रत्येक वर्ष परिवार व सनातनी शहरवासियों द्वारा मिलकर गीता जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाते रहा है। बड़े वैद्य जी के बाद उनके पुत्र स्व डॉ दामोदर गजानंद शर्मा द्वारा पूरे जीवन इस परंपरा को निरन्तर जारी रखा गया। उसके बाद उनके पुत्रो द्वारा इस परंपरा को निभाया जा रहा है।
ये रहे शामिल –
इस आयोजन पर वैद्य जी परिवार के श्रीमती प्रभावती शर्मा, राजेन्द्र शर्मा, डॉ आशुतोष शर्मा, वैद्य कपिलेश शर्मा, रविकांत शर्मा, अविचल शर्मा, निश्चल शर्मा, राधेश्याम अग्रवाल खलघाट वाले, कैलाश अग्रवाल काका, शैलेन्द्र अग्रवाल, श्रीप्रसाद यादव, पंडित ब्रजमोहन शास्त्री, दीपक मालवीय, रंकेश एरन, निगम बाउजी, संत सियारामदास, एडवोकेट मोरेश्वर देसाई, पंडित गोविंद शास्त्री, पंडित ओमप्रकाश शर्मा, हरि अग्रवाल, कुशल पंडित, सुनील अग्रवाल, बद्रीप्रसाद शर्मा , विनोद शर्मा, मुकेश मित्तल सहित बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी जनता ने भाग लिया ।