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गला दबाकर कार सहित पत्नी को नहर मे फेकने वाले हत्यारे डॉक्टर को हुई उम्र कैद

आये दिन विवाद के कारण नाबालिक नौकर के साथ मिलकर घटना को दिया था अंजाम

खंडवा। मुश्ताक मंसूरी। पत्नी की गला दबाकर ह्त्या करने वाले आरोपी डॉक्टर को सोमवार प्रथम सत्र न्यायाधीश खण्डवा अरविंद कुमार टेकाम, की न्यायालय ने आरोपी डॉ. अभिषेक चतुर्वेदी पिता शिवकुमार चतुर्वेदी , निवासी भील मोहल्ला ओंकारेश्वर जिला खण्डवा को धारा 302 भादवि के आरोप में आजीवन कारावास एवं 50, हजार – रूपये अर्थदण्ड एवं धारा 201 भादवि के आरोप में एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार . अर्थदण्ड से दंडित किया गया। अभियोजन की ओर से मामले की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी विनोद कुमार पटेल ने की गई।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी हरिप्रसाद बांके, एडीपीओ ने बताया गया कि, आरोपी डॉ. अभिषेक चतुर्वेदी निवासी ओंकारेश्वर का गरिमा जोशी निवासी बडवानी से वर्ष 2013 में विवाह हुआ था जिसकी पांच साल की बेटी समृद्धि भी थी। डॉ. अभिषेक का उसकी पत्नी गरिमा से आये दिन विवाद होता रहता था डॉ. अभिषेक चतुर्वेदी ने उसकी पत्नी गरिमा को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसके क्लिनिक पर काम करने वाले एक नाबालिक लडके के साथ मिलकर योजना बनाई और 25 दिसंबर 2020 को योजनाबद्ध तरीके से अपनी पत्नी को इन्दौर कार्यक्रम में ले जाने का बहाना बनाकर नाबालिक लडके के साथ मिलकर रास्ते में उसकी पत्नी गरिमा का गमछे से गला दबा दिया और फिर दोनो ने मिलकर कार को भोगांवा नहर ओंकारेश्वर में धकेल दिया और उसे आकस्मिक घटना बताई। पुलिस के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. विकास मुजाल्दा जिला सीन ऑफ काइम पुलिस कन्ट्रोल रूम खण्डवा ने मौके पर जाकर जब घटना स्थल का निरीक्षण किया और मृतका गरिमा व कार का भी निरीक्षण किया तब उन्होने अपनी रिपोर्ट तैयार कि जिसमें बताया कि यह आकस्मिक घटना नही है जिस पर पुलिस मांधाता, उप पुलिस अधीक्षक निलम चौधरी व राकेश पेन्ड्रो को विवेचना सौपी गई विवेचना के दौरान उन्होने पाया की आरोपी डॉ. अभिषेक चतुर्वेदी ने अपने यहा काम करने वाले नाबालिक लडके के साथ योजना बनाकर उसकी पत्नी गरिमा की हत्या की है और इसे एक आकस्मिक घटना रूप देने का प्लान किया है। प्रकरण में डॉ. ने रिपोर्ट में पाया गया कि मृतका की डुबने के पूर्व मृत्यु हुई है और वाहन की मेकेनिकल जाँच में वाहन को ठीक अवस्था में पाया गया। डॉक्टर अभिषेक व उसके साथी नाबालिक लडके को कोई चोट नहीं आई जो मुख्य रूप से संदेह का कारण भी बना। पुलिस ने अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया।

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