सेंधवा; अस्पतालों को निजी हाथों में नहीं सौंपा जाए, संविधान की पांचवी अनुसूची का पालन करे
-अदिवासी संगठनों ने संविधान की पांचवी अनुसूची, पैसा अधिनियम एवं वन अधिकार मान्यता कानून और आदिवासी अधिकारों के सम्बंध में रैली निकाल राज्यपाल के नाम दिया ज्ञापन।
सेंधवा। सत्याग्रह लाइव। जिला अस्पताल बड़वानी, जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और सिविल अस्पतालों को निजी हाथों में नहीं सौंपे जाने की मांग और संविधान की पांचवी अनुसूची, पैसा अधिनियम एवं वन अधिकार मान्यता कानून और आदिवासी अधिकारों के सम्बंध में मंगलवार को आदिवासी छात्र संगठन और आदिवासी समाजिक संगठनों ने रैली निकालकर राज्यपाल के नाम एसडीएम कार्यालय में ज्ञापन दिया।
आदिवासी छात्र संगठन के विद्यार्थियों ने मंगलवार को कॉलेज परिसर से रैली निकालकर एसडीएम कार्यालय पहुंचकर आदिवासी मुक्ति संगठन कार्यकर्ताओं के साथ नायब तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में विभीन्न तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि कई विसंगतियों को दूर कर अनुसूचित क्षेत्रो में स्वशासन और सुशासन की स्थापना हेतु सुसंगत ढांचा तैयार करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाया जाना अनिवार्य है। अनुसूचित क्षेत्रों में स्वशासन और सुशासन तभी कायम होगा जब इस घोषणा पत्र के बिन्दुओं पर कार्यवाही होगी। ज्ञापन में मांग की गई कि भारत सरकार राष्ट्रीय जनजातीय नीति और सभी राज्य सरकारें अपनी जनजातीय नीति घोषित की जाए। ट्राइबल सब प्लान के क्रियान्वयन के लिए केंद्र तथा सम्बंधित राज्य सरकार द्वारा एक वर्ष के अन्दर अलग से कानून बनाया जाए।
अस्पतालों को निजी हाथों में नहीं सौपा जाए-
ज्ञापन में बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा बुनियादी सेवाओं के प्रमुख अंग स्वास्थ्य सेवाओं को निजी हाथों में देने का निर्णय लेकर इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इसी संदर्भ में आदिवासी मुक्ति संगठन और जन स्वादथ्य अभियान द्वारा आपको पत्र के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण को तत्काल बंद करने की मांग की गई थी। परंतु अभी तक संदर्भ में अभी तक हमे किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं मिली है। ज्ञापन में बताया गया कि यह दुखद है कि जिला अस्पताल के निजी हाथों में देने का निर्णय विरोध जनता द्वारा किए जाने के बावजूद प्रदेश सरकार ने अपना बडवानी जिला अस्पताल के साथ कुल 12 जिला अस्पताल (कटनी, मुरैना, पन्ना, भिंड, अशोकनगर, गुना, धार, सीधी, बेतुल, खरगोन, टिकमगढ़ और बालाघाट) के साथ प्रदेश के सभी 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 161 सिविल अस्पताल के साथ ही संजवानी क्लीनिक की सेवाएँ भी निजी हितधारकों के हवाले करने जा रही है। इन अस्पतालों में बड़वानी, धार खरगोन खंडवा बुरहानपुर इन सभी जिलों के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और सिविल अस्पताल भी निजी हाथों में सौंपे जा रहे हैं। संगठन में स्वास्थ्य संस्थाओं को निजी हाथों में नहीं सौंपे जाने की मांग की।
यह रहे मौजूद-
इस दौरान आदिवासी छात्र संगठन आदिवासी मुक्ति संगठन के कार्यकर्ता अर्जुन डुडवे, प्रकाश सोलंकी, जागीराम भडले, जोगीराम कोटोले, अनिल पटेल, चंदन डावर, कपिल यादव, पूजा आर्या, भारती बर्डे, संगीता खोटे, ललिता अछाले, आमूस वरिष्ठ कार्यकर्ता राजेश कनोजे, गेंदराम डावर, राहुल सोलंकी, विवेक मेहता, प्रदेश सचिव भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन विजय सोलंकी, वकील प्रिंस शर्मा, देवा जाधव, कलम अवाया, दिनेश मेहता, मुन्ना आर्य आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।