खंडवा; नगर के प्राचीन विट्ठल मंदिर में कार्तिक मास में 150 वर्षो से हो रही काकड़ा आरती

आष्टेकर परिवार द्वारा विट्ठल भगवान माता रूकमणि का आकर्षक श्रंगार किया जा रहा है,
धनतेरस के दिन प्रातःकाल काल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओ ने पहुंचकर कांकडा आरती की
खंडवा ( मुश्ताक मंसूरी)नगर के अति प्राचीन विट्ठल मंदिर में कार्तिक मास में प्रतिदिन सुबह . 5:30 बजे काकड़ा आरती करने सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मंदिर में यह काकड़ा आरती 150 वर्षो से रोज सुबह होती है। कार्तिक मास के दौरान कई श्रद्धालु प्रतिदिन सुबह 5:30 बजे विट्ठल मंदिर में काकड़ा आरती करने पहुंच रहे हैं। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि कार्तिक मास मैं प्रतिदिन के काकड़ा आरती के बाद महिलाओं के भजन के बाद कार्तिक मास की पोथी का वाचन भी हो रहा है। मंगलवार धनतेरस के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु मातृ शक्ति में उपस्थित होकर काकड़ आरती में भाग लिया, कार्तिक महीना कई मायनों में उर्जा प्रदान करने वाला है, बस कुछ कार्यों से इस महीने को अपने विकास को तीव्र गति दे सकते हैं। खासकर आध्यात्मिक ऊर्जा एवं शारीरिक शक्ति संग्रह करने में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। इसमें सूर्य की किरणों एवं चन्द्र किरणों का पृथ्वी पर पड़ने वाला प्रभाव मनुष्य के मन मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। इसलिए शास्त्रों में कार्तिक स्नान और कथा श्रवण महात्म्य पर विशेष जोर दिया गया है। वहीं आचरण की शुद्धि के लिए संयम को महत्वपूर्ण बताया। इस पूरे महीने यदि ब्रह्म मुहूर्त में स्नान, दान और दीपदान किया जाए तो सफलता से आपको कोई नहीं रोक सकता है।

कार्तिक में बढ़ जाता है तु़लसी का महत्व
मंदिर के पुजारी श्याम आष्टेकर ने बताया कि इस महीने में तुलसी पूजा का महत्व अत्याधिक है, इसके पत्ते पंचामृत में डालने पर एवं भगवान का अभिषेक करने पर चरणामृत बन जाता है। देवशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक छह माह तुलसी की विशेष पूजा होती है। कार्तिक में तो इनका अत्याधिक महत्व बढ़ जाता है। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया की कार्तिक स्नान के साथ तुलसी के पौधे के पास जो लोग कार्तिक महात्म्य सुनते हैं उनके घरों में सुख शांति रहती है। कार्तिक मास में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी विट्ठल मंदिर में प्रात: जल्दी उठकर कार्तिक स्नान के बाद काकड़ा आरती एवं पोथी सुनने कई श्रद्धालु बड़ी संख्या में मातृ शक्ति पहुंच रही हैं। प्रतिदिन विट्ठल भगवान माता रूकमणि का प्रातः काल अभिषेक एवं आकर्षक श्रंगार राम, श्याम आष्टेकर परिवार द्वारा किया जा रहा है