सेंधवा। अपने रूप के जादू से सबको मोह ले वह है श्री कृष्ण
सेंधवा। जिसके भजन स्मरण से जन मानस को यश एश्वर्य मिले वह है यशोदा। जो जन-जन में आनंद और खुशियाँ भर दे वे हैं नंद। और जो अपने रूप स्वरूप के जादू के आकर्षण से सबको मोह ले, अपनी ओर आकर्षित कर ले वह है श्री कृष्ण। ये अमृत वचन महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण समाज के सौजन्य से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान भागवत् मर्मज्ञ आचार्य श्री आदित्य प्रकाश त्रिपाठी जी ने भागवत् कथा के पंचम दिवस पर कथा प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। कथा के दौरान अपने दान की महिमा को और उसके महत्व को भी विस्तार से समझाया। कथा में बालकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन, पूतना वध तथा अन्य दैत्यों के वध की कथा का भी श्रवण कराया। इस दौरान इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने अंगुली पर धारण के प्रसंग को सुनाकर यह संदेश दिया कि अहंकार सर्वनाश का कारण होता है। इसके साथ ही गोवर्धन पूजा कर गिरिराज की महिमा का वर्णन विस्तार से समझा कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान गिरिराज और बाल कृष्ण को समाज की ओर से छप्पन भोग लगाया गया। कथा के दौरान बड़ी संख्या में भक्त श्रोता मौजूद रहे।