मुख्य खबरेसेंधवा

सेंधवा; जीवन में हम जितना हल्की प्रवृत्तियों से दुर रहेंगे उतना सुखी एवं प्रसन्न रहेंगे

  • पर्युषण पर्व के अंतिम दिन स्वाध्यायी बहन श्रीमती लीलाबाई सालेचा ने कहा।

सेंधवा। जिस प्रकार औषधि की कड़वी गोली को चबाना नहीं पड़ता है, उसे सीधा निगल लिया जाता है। उसी प्रकार जब यदि कोई हमारा अपमान करे, हमारी निंदा करे, कटु वचन बोले, हमे क्रेाध दिलाए तो उस व्यवहार को, उन बातों को कड़वी गोली के समान सीधे निगल जाना चाहिए अर्थात उनको पकड़ कर नहीं रखना चाहिए क्योंकि हम जितना ऐसी बातों को याद करेंगे उतना उलझते जायेंगे और मानसिक अशांति को प्राप्त करेंगे। याद रखना जीवन में हम जितना हल्की प्रवृत्तियांे से दुर रहेंगे उतना सुखी एवं प्रसन्न रहेंगे।
उक्त विचार रविवार को शहर के देवी अहिल्या मार्ग स्थित जैन स्थानक में स्वाध्यायी बहन श्रीमती लीलाबाई सालेचा ने पर्युषण पर्व के अंतिम दिन व्यक्त किये। आपने कहा कि अपनी भूल को स्वीकार करके विनय पूर्वक क्षमा याचना करना एवं दुसरों की भूल को भूल कर उनकों क्षमा प्रदान करना ही आज के संवत्सरी पर्व का महत्तव है।

जहां क्षमा है वहां धर्म है-
स्वाध्यायी बहन श्रीमती लीलाबाई सालेचा ने कहा कि जहां क्षमा है वहां धर्म है, क्रोध आत्मा की विभाव दशा है, जबकि क्षमा आत्मा का स्वभाव है। मन में रखा क्रोध कब बैर की गठान बन जाता है, हमें पता ही नहीं चलता है। इसलिए क्रोध को क्षमा से जीतने का लक्ष्य रखे। हम दुसरों को क्षमा सिर्फ इसलिए ना करे कि वह क्षमा का अधिकारी है बल्कि यह भी ध्यान रखे कि हम स्वयं भी शांति के हकदार है। हम स्वयं यह चिंतन करे कि क्या हम सतत् 24 घंटे तक क्रोध की अग्नि में रह सकते है? जबकि हम 24 घंटे शांति में रहना चाहे तो रह सकते है। इसलिए ज्ञानीजन फरमाते है कि विनय, करूणा, संतोष व मैत्री यह आत्मा का स्वभाव है। आपने कहा कि जिस प्रकार यदि मकान, संपत्ति, वाहन आदि खरीदना है तो धन की आवश्यकता है। उसी प्रकार यदि जीवन से क्रोध, अशांति व निराशा को दुर करना है तो प्रेम की आवश्यकता है। संबंधों का विस्तार वाणी पर आधारित है और जीवन का विस्तार प्रेम पर आधारित है। हम भक्ति चाहे एक परमात्मा की करे पर प्रेम और करूणा तो जगत के सभी जीवों के प्रति रखना पडेगी।

परिवार या समाज के आपसी मनमुटाव को लंबा नहीं खिंचे-
स्वाध्यायी बहन श्रीमती लीलाबाई सालेचा ने कहा कि जब भी परिवार या समाज में आपसी मनमुटाव का प्रंसग बन जाये तों उन प्रसंगो को लंबा नहीं खिंचना चाहिए। जीवन में एक बात सदैव याद रखे किसी से भी कोई मतभेद हो तो उसे वैचारिक मतभेद तक ही रखे मनभेद में परिवर्तित ना करे। ध्यान रखना रिश्ते कितने भी खराब हो जाये उन्हंे तोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि पानी कितना गंदा हो वह भले पीने के काम ना आयेगा पर आग बुझाने के काम तो आयेगा ही। आपने कटाक्ष करते हुए कहा कि तेवर व जेवर सभी को बताकर प्रदर्शन करने के लिए नहीं होते है ये तो संभालने की चीज है।

उपवास आदि व्रत के पचखाण हुवे-
आज धर्मसभा में बडी सख्ंया में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। आज 3 उपवास के पच्खान रिषभ सुराणा, सुनिता सुराणा, भारती नाहटा व सोनल ओस्तवाल ने लिए। साथ ही बड़ी संख्या में उपवास आदि व्रत के पचखाण हुवे। प्रांरभ में स्वाध्यायी बहन शोभा बोहरा ने अंतगड सूत्र का वाचन किया। लता मुथा ने संवत्सरी महापर्व का महत्तव बताया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!