धार। जिला अधिकारियों की अनदेखी के चलते आदिवासी जनपद बाग मे घटिया निर्माण कार्य करवाने वालो की पौं बारह,
संजय देपाले धार, बाग। धार जिले के ग्राम बाग आदिवासी विकासखंड में आरईएस विभाग द्वारा निर्माण कार्यों के नाम पर किया गया बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया हैं। जिसमें निर्माण कार्यों में जहाँ अधिकांश काम कागजातों पर दर्शाकर लाखों रुपयों का आहरण कर लिया तो वही जो निर्माण किया है उसमें हल्की एवं घटिया सामग्री का जमकर उपयोग हुआ है। क्योंकि इन कार्यो को साईड पर देखने के लिए हफ्तों महिनों तक तकनीकी अधिकारी पहुंचते थे न ही एस.डी.ओ. आते थे बाग जनपद से 90 कि.मी. दुर बैठे कार्यपालन यंत्री अपने आफिस से ही अपने धन की दुरबीन से काम ओ. के. कर देते रहे जिसके परिणाम यह रहे की करोड़ों रु. के एक भी विकास कार्य उपयोगी साबित नही हो रहे है।तकनीकी विभाग को धनराशि आंवटित करने वाले जिला पंचायत सी.ई.ओ. या काम की निगरानी कर शासन को रिर्पोट देने वाले कलेक्टर निर्माण के दौरान भम्रण करना भी उचित नही समझा गया जिसके परिणाम है विकास के नाम शासन का करोड़ों रुपया पानी मे ही बह रहा है।
बताया जाता है कि हाल ही में निर्माण हुए पुलिया व स्टॉपडेम अभी से ही क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। परन्तु इन क्षतिग्रस्त निर्माण को देखने व सुध लेने की जिला मुख्यालय के अधिकारियों के पास समय नही है।यहु नही जनपद मुख्यालय पर आर. ई.एस. के तकनीकी अधिकारियों ने अपनी नई टेक्नोलॉजी से भी शासन के धन व विकास कार्यों का बंटाधार करके रख दिया परन्तु वरिष्ठ अधिकारियों ने इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई।इस आदिवासी जनपद बाग मे कुछेक स्थानों पर पंचायत पुराने निर्माण कार्यों को ही नवीन बताकर बिल पोर्टल पर ऑनलाइन किए जा चुके हैं। जिनकी जाँच या मौकामुआयना करने पर जाकर भौतिक सत्यापन करने की भी जरूरत नही समझना जिले के विकास अधिकारियों की कार्यप्रणालियों को संदिग्धता की परिधि मे खड़ा करते है।हालात यही नही है बल्कि इतने बिगड़े हुएँ है कि अनेक स्थानों पर जियोटेक किए गए स्थानों से हटकर दूसरे स्थान पर पुलिया स्टॉपडेम बनाकर शासन के करोड़ों रुपए की जमकर बंदरबांट की गई है। स्टॉपडेम के निर्माण में तो जमकर अनियमितताएं सामने आई हैं।
पुराने बड़े तालाबों से सटकर ही स्टॉपडेम बनाकर शासन की राशि को पलीता लगाने में विभाग के अधिकारियों सहित ठेकेदारों ने कोई कसर बाकी नहीं रखी।अब इन ठेकेदारों को कार्यों मे इतनी छुट देना समझ से परे है। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कुक्षी के एक ठेकेदार ने लगभग 15 करोड़ की लागत के निर्माण कार्य मे आर.ई.एस. विभाग के ईई एवं एई से सांठगांठ कर बीते वर्ष विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के दो दिन पूर्व कार्य स्वीकृत करवा लिए थे। इन कार्यों पर आचार संहिता का प्रभाव ना पड़े… इसके चलते जवाबदार अधिकारियों ने निर्माण स्थल का विजिट किए बिना ही जिले में ही बैठकर ताबड़तोड़ निर्माण कार्य के एस्टीमेट बनाकर निर्माण स्थल का जियो टेक भी धार कार्यालय मे बैठे बैठे तत्काल कर दिया गया। ऐसे में अधिकारीयों एवं ठेकेदार ने मिलकर शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया है।जिला अधिकारियों की इस तरह की लापरवाही का परिणाम है कि आदिवासी जनपद बाग मे विकास के नाम आया करोड़ों रुपया नदी नालों व ठेठ जंगलो मे बर्बाद तो हुआ ही वही प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार व भाजपा संगठन की छबि को भी भारी नुकसान हुआ,वही इस क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विधानसभा मे विपक्ष के नेता को भी भाजपा सरकार को घेरने का मौका मिला व आदिवासी मतदाताओं के बीच भाजपा की छबि को धुमिल करनें की टकोई कोर कसर नही छोड़ रहे है यह सब जिले से लेकर जनपद तक के सभी भष्ट्र अधिकारियों के चलते हो रहा है।
इन विकास के निर्माण मे सबसे बड़ी बात तो यह है कि इतने बड़े निर्माण कार्यों की जानकारी से पंचायत के स्थानीय जनप्रतिनिधियों भाजपा संगठन निर्वाचित जनप्रतिनिधियों व पत्रकारों तक को इसलिये अनभिज्ञ रखा जाता हैं कि वे ग्रामीण क्षेत्रो मे कागजातों मे सब खेल का खेला कर अपनी तिजोरियों को भर सके।हालात इस कदर बिगड़े है कि ग्राम कनेरी में पुलिया सह स्टॉपडेम में बड़ा घपला जनपद पंचायत के ग्राम कनेरी में उंडी खोदरी नाले पर 87 लाख 54 हजार की लागत से पुलिया सह स्टॉपडेम के निर्माण में विभाग के अधिकारी एवं ठेकेदार ने सिर्फ पुलिया ही बनाई। पंचायत के पुराने आरएमएस को ही नवनिर्मित स्टॉपडेम बताकर 85शासन की गाइड लाइन 80:20 की, बिल लगे 85:15 केक्षेत्र में स्वीकृत हुए निर्माण कार्यों में विभाग के अधिकारियों की काली करतूत को स्थानीय जनप्रतिनिधि सामने ले आए हैं।अब इनकी जांच करे त़ कौन करे क्योंकि जनपद से लेकर जिला मुख्यालय तक के अधिकारी मौन है।यही कारण है कि शासन की गाइड लाइन अनुसार पक्के निर्माण कार्यों में 80 प्रतिशत सामग्री एवं 20 प्रतिशत मजदूरी का रेशों भुगतान के लिए शासन का तय है, जबकि बाग क्षेत्र में हुए निर्माण कार्यों में 85:15 प्रतिशत के अनुपात में बिल बनाकर पोर्टल पर ऑनलाइन कर दिए गए हैं। इनके भुगतान के लिए कार्यपालनयंत्री वेरिफिकेशन कर रहे है।जबकि ये अधिकारी कभी भी बाग मे साईट पर आया ही नही।ऐसे में 5 प्रतिशत की बढ़ी राशि से करोड़ों की हेराफेरी निर्माण कार्यों में की गई है। तकनीकी खामियों एवं अधिकारियों की अनदेखी के मामले को लेकर संबंधित विभाग के जिम्मेदारों से संपर्क करने की कोशिश की गई पर उनसें संपर्क नहीं हो सका।परन्तु इस तरह की तकनीकी खामियों व अधिकारियों की लापरवाही को लेकर पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल भोपाल जाकर मुख्यमंत्री व भाजपा संगठन अध्यक्ष जिलें के प्रभारी मंत्री व वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान मे लाकर लोकायुक्त मे प्रकरण दर्ज करनें को रवाना हो रहा है ताकि क्षेत्र मे विकास के नाम विनाश पर रोक लगे व शासन के करोड़ों रू. की व्यर्थ बर्बादी रुक सके शासन की छबि खराब होने से बच सके।इन निर्माण कार्यों मे प्रतिशत के रेशों से 74 लाख 38 हजार के बिल पोर्टल पर ऑनलाइन करवा लिए जाने की भी जनचर्चा है इसकी जाँच की मांग की गई है। ताज्जुब तो इस बात का है कि इस जनपद के प्रभारी तकनीकी अधिकारी जो विभाग के एई है उसने भी सांठगांठ कर जिले में बैठकर ही निमार्ण कार्य का मूल्यांकन कर दिया।
क्षेत्र के जनपद प्रतिनिधि भारतसिंह मंडलोई ने बताया कि गुरुवार को जब मैं निर्माण कार्य का निरीक्षण करने गया, तव देखा कि पूरी पुलिया की ऊपरी सतह पर मात्र एक इंच कांक्रीट हुआ है। ठेकेदार ने मिट्टी व पत्थर भरकर पुलिया बना दी है।इसकी कोई अधिकारी जाँच करवाने की हिम्मत करेगा। पुलिया के अनेक हिस्सों में अभी से दरार आ चुकी है। जनपद प्रतिनिधि मंडलोई ने कलेक्टर से जांच की मांग कर बिलों के भुगतान पर रोक लगाने की मांग की है। इसी तरह स्थानीय नगर पत्रकार मंच ने भी मुख्यमंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री प्रभारी मंत्री के साथ भाजपा संगठन के प्रभारियों के साथ मप्र प्रशासन के मुख्य सचिव विभाग के प्रमुख सचिव व लोकायुक्त को पत्र लिखकर आरईएस विभाग के कार्यों की निष्पक्ष जांच कर विकास कार्यों को दुरस्त करदोषी अधिकारियों को दण्डित करनें की मांग की गई है। इन घटिया विकास कार्यों के लिए विभाग के कार्यपालन यंत्री से सम्पर्क करनें उनके कार्यालय गये तो उन्होंने मिलना उचित नही समझकर समय नही दिया। जब उनसें मोबाइल पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने आफिस मे ही बैठे ठाले कह दिया कि मै आवश्यक मिटिंग मे हूँ।इस तरह जिम्मेदारानाओं का जवाब क्षेत्र की कैसी स्थिति है अधिकारियों की किस तरह तानाशाही है उनका व्यवहार तो यही उजागर करता है।