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सेंधवा में गणेशोत्सव की तैयारी, 10 साल से मिट्टी की गणेश प्रतिमा बनाकर शहर की बेटी दे रही पर्यावरण संरक्षण का संदेश

सेंधवा। गणेश महोत्सव पर शहर में हर घर विराजमान होंगे गणेशजी। सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित होने वाले गणेशजी के वॉटर प्रूफ पंडाल की साज सज्जा भी तैयारी पूर्ण हो चुकी है।
गणेश चतुर्थी पर 10 दिवसीय गणेश स्थापना को लेकर नगर में उत्साह का वातावरण निर्मित होकर पर्व की धूमधाम है। किले के अंदर मंडी शेड में गणेशजी की प्रतिमा की दुकानें भी सज गई है। वही नगर में पर्यावरण संरक्षण के तहत अब आमजन का मिट्टी के गणेशजी की स्थापना की ओर रूझान बड़ गया है । बाजार में भी मिट्टी के गणेशजी की प्रतिमा की मांग बड़ गई है । वही कई घरो में बच्चे भी मिट्टी के गणेश की प्रतिमा बना रहे है । वही नगर की बेटी जो विगत कई वर्षों से अपने हाथो से मिट्टी के गणेशजी की प्रतिमा बनाते आ रही पलक अग्रवाल जो सीए बनकर अमेरिका की कैडबरी इंडिया में जॉब कर रही हैं। अपनी परंपरा का निर्वाह करते हुए अपनी भाभी रिमझिम अग्रवाल के साथ मिट्टी के गणेशजी की प्रतिमा बनाई है। अपने हाथो से प्रतिमा में रंग भरे । उन्हे हाथ की बनी पोशाक व पगड़ी पहनाकर श्रृंगार किया । जिनकी गणेश चतुर्थी पर घर में स्थापित कर पूजा अर्चना की जावेगी । इसके साथ ही नगर वासियों में भी पर्यावरण संरक्षण के लिए मिट्टी की प्रतिमा बैठने का संदेश दे रही है ।

10 वर्ष से पर्यावरण संरक्षण का संदेश-
विगत 10 वर्षो से मिट्टी के गणेशजी की प्रतिमा बना रही पलक का कहना है की गणेश चतुर्थी पर मिट्टी के गणेशजी की स्थापना करना चाहिए, क्योंकि ग्रंथो में मिट्टी को पवित्र माना गया है।
संतो का कहना है की कलयुग में मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करने को सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है ऐसी मूर्ति में भगवान गणेश के आव्हान और पूजा से मनोकामना पूरी होती है। मिट्टी की मूर्ति में पंचतत्व होते है इस लिए पुराणों में भी ऐसी प्रतिमा की पूजा का ही विधान बताया गया है । शिवपुराण में लिखा है की देवी पार्वती ने पुत्र की इच्छा से मिट्टी का ही पुतला बनाया था फिर भगवान शिवजी ने उसमे प्राण डाले थे वो ही भगवान गणेश थे । शिव महापुराण में धातु की बजाय पार्थीय और मिट्टी की मूर्ति का महत्व बताया है । मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा अर्चना करने से कई यज्ञों का फल मिलता है । इस लिए मिट्टी के गणेशजी की स्थापना करना चाहिए । जिससे पर्यावरण दूषित नही होकर पर्यावरण संरक्षण भी होता है । Effort के गणेशजी को घर के गमले में भी विसर्जन किया जा सकता है।

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