सेंधवा में उत्साह से निकला कानबाई माता विसर्जन जुलूस, नम आंखों से दी मां को विदाई

सेंधवा। शहर सहित क्षेत्र में महाराष्ट्रीयन समाज ने कानबाई पर्व धूमधाम से मनाया। सोमवार को बैंड-बाजे व ढोल-ढमाके के साथ कानबाई माता की शोभायात्रा निकाली। जयघोष किया। नम आंखों से भक्तों ने माता को विदाई दी। नगर सहित ग्रामीण अंचलों में कानबाई माता पर्व को लेकर खासा उत्साह देखा गया। रविवार को माता की स्थापना के साथ ही पूजा अर्चना, भजन कीर्तन और जागरण का दौर चला। सोमवार को पर्व का समापन भी उत्सव के रूप में हुआ। नगर के तलावड़ी, राम कटोरा, निंबार्क कॉलोनी, दिनेश गंज, मोतीबाग सहित अन्य कॉलोनियों में कानबाई माता उत्सव को लेकर धूमधाम रही।

कानबाई माता को ढोल- ताशे बजाकर विसर्जन के लिए ले जाया गया। इसमें भक्त भक्ति भाव में झूमते-नाचते नजर आए। भक्तों के चेहरे पर अलग ही चमक नजर आ रही थी। विसर्जन मार्ग पर विभिन्न प्रकार के स्टाल लगाए गए। कानबाई माता का जोरदार स्वागत किया गया। प्रसादी वितरित की गई। विसर्जन छोटा घटया पट्या पर किया गया। विसर्जन के लिए नगर पालिका सेंधवा ने भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसे लेकर सारी व्यवस्था कर रखी थी। वहीं पुलिस प्रशासन भी व्यवस्था संभालने में लगा था। दरअसल महाराष्ट्र से सटे हुए होने से यहां पर कानबाई पर्व की विशेष मान्यता है। इसके कारण समाजजन कई दिनों से माता की अगवानी की तैयारी करते हैं। पत्थर की चक्की पर हाथ से पिसे अनाज की रोट बनाकर कानबाई माता को भोग लगाया जाता है। कानबाई पर्व पर माता का जगराता भी किया जाता है। पूर्व नगरपालिका उपाध्यक्ष छोटू चौधरी ने भी कानबाई माता के रथ को शिरोधार्य कर माता को विदाई दी। जुलूस में महाराष्ट्रीयन समाज के अनिल वाघ, अखिलेश पवार, भीका मांडे, सुनील पाटिल, राजेश निकुम, मनोहर निकुम, दगडू कदम, राजेश यादव सहित अन्य समाजजन मौजूद रहे।
खानदेश की कुलस्वामिनी देवी मां कानबाई –
खानदेश का परंपरागत सांस्कृतिक व पारिवारिक एकता का पर्व मां कानबाई उत्सव रविवार को माताजी की मूर्तियों की स्थापना के साथ प्रारंभ हुआ। श्रद्धालुओं ने गाजे-बाजे के साथ माता की प्रतिमा अपने घरों पर विराजित की। खानदेश का यह पर्व मां कानबाई उत्सव पर दूर दूर से परिवार इस उत्सव में हिस्सा लेने के लिए शहर पधारे। परिवार कुटुंब के साथ मनाए जाने वाले इस उत्सव पर परिजन दूर दूर से शहर पहुंचे। रात जागरण कर पूरी रात माता की आराधना की। सोमवार सुबह परंपरागत तरीके से विसर्जन जुलूस निकालकर नम आंखों से माताजी को विदाई दी।
