बड़वानी

पानसेमल; पैर रगड़ कर, एड़ी पर भार देकर ना  चले -योग गुरू सोनी

पानसेमल; हमारे बुजुर्ग संस्कृति का पालन कर घरों में गोबर लिपते थे। ताकि हमें ऊर्जा मिलती रहे, और हमारे पैर फिसले ना, और हमारी हड्डियों में टूट फूट ना हो। वर्तमान समय में यह पद्धति विलुप्त होते जा रही है। हमारी मानसिकता भी एवं सोच भी बदलती जा रही है। घरों में हम तरह-तरह की टाइल्स, मार्बल, कोटा स्टोन, न जाने कौन सी पद्धति एवं तकनीक का प्रयोग कर घरों को सुंदर बना रहे हैं, लेकिन चिकनापन अधिक होने के कारण दुर्घटनाओं का डर बना रहता है।हमें सतर्कता और सावधानी भी रखनी होंगी । तभी हम और हमारे बुजुर्ग स्वस्थ जीवन की कर दुर्घटनाओं से बचे रहेंगे। मोबाइल की घंटी बजते ही सावधानी पूर्वक कुर्सी पर बैठकर अथवा किसी कोने में खड़े होकर वार्तालाप करें। बुजुर्ग भोजन, शौच, स्नान, कोई भी जरूरी कार्य होने पर पैर रगड़कर, एवं एड़ी पर भार देकर ना चले । अन्यथा दुर्घटना घट सकती है। दुर्घटना से बचना है, तो बुजुर्ग दीवाल, दरवाजे, खिड़की, अथवा लकड़ी की सहायता से चले। और मानसिक संतुलन बिगड़ने ना दे। उक्त विचार योग गुरु कृष्णकांत सोनी ने शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पानसेमल की छात्राओं एवं शिक्षकों को निशुल्क योग सिखाते हुए कहे। योग गुरु ने पत्ता आसान, हाथ पैर ताली आसान, आदि का प्रयोग सिखाए। इस अवसर पर प्राचार्य सरिता धारवे संजय शिरोड़े मीणा की गिलासें, सुधीर पाटील वीर सिंह आर्य, बीएससी बीएससी जितेंद्र बाविस्कर, प्रशिक्षण प्रभारी महेंद्र पाटील आदि उपस्थित थे।

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