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बड़वानी। हमारी पहली और सबसे बड़ी गुरु हमारी माँ हैं, उन्होने शिक्षा और संस्कार दिये-पूर्व कुलगुरु डॉ. शिवनारायण यादव

बड़वानी। आज का दिन गुरु के ज्ञान के ज्वार का दिन है। हमारी माँ हमारी पहली और सबसे बड़ी गुरु हैं। वो हमें बचपन से अक्षर ज्ञान देती हैं। शिक्षा देती हैं। माँ ने न केवल हमें जन्म दिया, वरन हमारा पालन-पोषण किया तथा हमें उच्च स्तरीय संस्कार दिये। गुरु-शिष्य का संबंध केवल कक्षा के चालीस मिनिट का नहीं होता है, अपितु जीवन भर का होता है। ये बातें प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के द्वारा आयोजित किए गए गुरुपूर्णिमा उत्सव के प्रथम दिवस डॉ. शिवनारायण यादव, पूर्व कुलगुरु, अवधेश प्रतापसिंह विश्वविद्यालय, रीवा ने मुख्य अतिथि के रूप में विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देते हुये कहीं। उत्सव की अध्यक्षता जनभागीदारी अध्यक्ष एडवोकेट श्री अरविंद उपाध्याय ने की। प्रदेश के मुख्य कार्यक्रम का आयोजन देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर में हुआ। वहाँ माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन जी यादव ने गुरुजनों का सम्मान किया और भारत की प्राचीन एवं गौरवशाली गुरु शिष्य परंपरा का महत्व बताया।
प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य एवं जनभागीदारी अध्यक्ष एडवोकेट श्री अरविंद उपाध्याय ने डॉ. शिवनारायण यादव, पूर्व प्राध्यापक डॉ. जे. के. गुप्ता, डॉ. उर्मिला वर्मा का शाल-श्रीफल भेंट करके भाव-भीना सम्मान किया।
पूर्व प्राध्यापक डॉ. जे. के. गुप्ता ने शिक्षा और नैतिकता विषय पर विचार व्यक्त किया। ज्ञान का के कतरा आपको कहाँ ले जाएगा, यह आपको बाद में जाकर पता चलेगा।


पूर्व प्राध्यापक डॉ. उर्मिला वर्मा ने कहा कि अपने बड़ों के प्रति सम्मान का भाव रखे और जीवन में आगे बढ़ें।अध्यक्षीय उद्बोधन में एडवोकेट श्री अरविंद उपाध्याय ने कहा कि मैं उस हर व्यक्ति को गुरु मानता हूँ, जो मुझसे किसी भी क्षेत्र में श्रेष्ठ हो, चाहे वह धन हो या ज्ञान हो। जन भागीदारी समिति के सदस्य श्री राजीव दास जी ने विद्यार्थियों को शुभकामना दी।
प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य ने कहा कि विद्यार्थियों को अपने समय का सदुपयोग अध्ययन में करना चाहिए और शिक्षकों को भी अपने कर्तव्य का निर्वाह पूर्ण निष्ठा से करना चाहिए। डॉ. आशा साखी गुप्ता ने स्वागत भाषण देते हुये कॉलेज का विजन प्रस्तुत किया।
वर्षा मालवीया, वर्षा मुजाल्दे एवं प्रीति गुलवानिया ने स्वागत गीत, सरस्वती वंदना तथा गुरु वंदना प्रस्तुत की। जगमोहन गोले, अंतिम मौर्य और राहुल भंडोले ने पीपीटी से भारत की गौरवशाली गुरु-शिष्य परंपरा का इतिहास प्रस्तुत किया। उन्होने महर्षि वेदव्यास से प्रारम्भ करके डॉ. राधाकृष्णन तक के भारत के महान गुरुओं की गाथा प्रस्तुत की।
शासकीय महाविद्यालय झिरन्या के डॉ. प्रवीण मालवीया ने जीवन में गुरु के महत्व पर विचार व्यक्त किए।
संचालन प्रीति गुलवानिया और वर्षा मुजाल्दे ने किया। आभार प्रशासनिक अधिकारी डॉ. जयराम बघेल ने व्यक्त किया।
आयोजन का समन्वय करियर सेल के कार्यकर्तागण स्वाती यादव, सुभाष चौहान, अनिल मंडलोई, बादल धनगर, अरविंद, धीरज सगोरे, दिव्या जमरे, चेतना मुजाल्दे, वर्षा शिंदे, सूरज सुल्या, यश करोले एवं डॉ. मधुसूदन चौबे ने किया।

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