बड़वाह। पिता की चिता को बेटी ने दी मुखाग्नि…तबियत खराब होने से हुआ था निधन…

कपिल वर्मा बड़वाह। बेटा ही पिता की चिता को मुखाग्नि देता है, यह बात अब गुजरे जमाने की हो चुकी है। शुक्रवार को यहां भी यह रूढ़ीवादी परंपरा तब टूटती नजर आई, जब एक बेटी ने बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता का अंतिम संस्कार किया। बेटी सुहानी अंबेकर अपने पिता की अंतिम यात्रा में श्मशान तक साथ गई और वहां उन सभी रीति रिवाजों को निभाया, जो बेटा करता है। सुभाष मार्ग गोदी पट्टी निवासी 40 वर्षीय रवि अंबेकर को अपने परिवार के साथ रहते थे। बेटी सुहानी अंबेकर ने बताया कि पिछले कुछ माह से पिता की तबीयत खराब हो गई। तब उन्हे बड़वाह के निजी अस्पताल से इंदौर तक इलाज के लिए ले गए थे। परिवारजनों के तमाम प्रयास के बाद तबीयत में सुधार नहीं हुआ। गुरुवार शाम उनका निधन हो गया। जानकारी मिलने पर रिश्तेदार, सगे संबंधी, परिचित आ गए। चिता को कौन आग देगा, यह सवाल उठने से पहले ही बेटी ने स्पष्ट कह दिया कि वह ही अपने पिता का अंतिम संस्कार करेगी। इसके बाद वह पिता की शव यात्रा में शामिल हुई। नावघाट खेडी स्थित मां नर्मदा के उत्तर तट स्थित शमशान घाट पर पिता की चिता को मुखाग्नि दी।

एक ही बेटी थी सुहानी — मृतक रवि अंबेकर के एक ही बेटी सुहानी जिसने अपने बेटे का फर्ज निभाया और पिता की मौत पर बेटी ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया। बेटी के अलावा उनका कोई भी वारिस नहीं होने के कारण बेटी सुहानी ने ही अर्थी को कंधा दिया और मुखाग्नि भी देकर पुत्र धर्म निभाया। सुहानी ने इस दौरान संदेश दिया कि बेटा-बेटी में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।