मनमाड-इंदौर रेल परियोजना की डीपीआर नीति आयोग से मंजूरी के लिए समिति ने अजजा आयोग राष्ट्रीय अध्यक्ष आर्य से की मुलाकात
-मनमाड इंदौर रेल परियोजना की डीपीआर रेलवे बोर्ड ने की तैयार, अब परियोजना नीति आयोग के पाले में।
सेंधवा। रमन बोरखड़े। बहुचर्चित मनमाड इंदौर रेल मार्ग परियोजना को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य से मनमाड़-इंदौर रेल संघर्ष समिति प्रमुख मनोज मराठे ने सौजन्य भेट की। मराठे ने आर्य से मुलाकात कर मनमाड-इंदौर रेल परियोजना की वर्तमान स्थिति से अवगत करवाया। इस पर श्री आर्य ने कहा कि यह परियोजना नासिक से मनमाड़ तक अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों से गुजरती है। आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए आधारभूत संरचना के तहत रेलवे जैसे परियोजना का होना अनिवार्य है। इसकी संपूर्ण मंजूरी के लिए पूरा प्रयास करेंगे। इस पर संघर्ष समिति प्रमुख मराठे ने आर्य को परियोजना की जानकारी देते हुवे निवेदन किया कि इस परियोगजना की डीपीआर बनकर तैयार हो चुकी है। अब इस डीपीआर पर नीति आयोग से मंजूरी की आवश्यकता है। इसकी मंजूरी के बाद मंत्रालय से वित्तीय स्वीकृति अनिवार्य है। जिसके लिए आपका सहयोग चाहिए। इधर परियोजना को लेकर मनमाड इंदौर से जुड़े पश्चिम रेलवे के अधिकारी श्री समीर कुमार से मिली जानकारी के इस परियोजना की फाईनल लोकेशन सर्वे की डीपीआर रेलवे को भेज दी गई है। रेलवे द्वारा परीक्षण हेतु इस रिपोर्ट को नीति आयोग को भेजी है। नीति आयोग से परीक्षण के बाद उचित मंजूरी मिलने पर इस परियोजना को वित्त मंत्रालय से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वित्तीय मंजूरी मिलने पर राज्य सरकारों के माध्यम से जमीन अधिग्रहण का काम तत्काल शुरू हो जाएगा। 90 प्रतिशत से अधिक जमीन अधिग्रहण का काम पूरा होने पर निर्माण कार्य के टेंडर जारी होंगे। श्री आर्य ने इस पर पूर्ण विश्वास दिलाया कि मैं हमेशा क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर हूं। सरकार हमेशा विकास कार्य को ही महत्व देते आई है। यह परियोजना का लगभग बहुत सारा काम पूरा हो चुका है। अंतिम सर्वे भी फाइनल लोकेशन सर्वे हो गया। अब अगली मंजूरी के लिए प्रयास करेंगे। इसके लिए मैं दिल्ली में रेलवे बोर्ड के अधिकारियों व रेल मंत्री से मुलाकात करूंगा। निती आयोग से भी परियोजनाओं को शीघ्र पूर्ण मंजूरी मिले और निर्माण कार्य प्रारंभ हो सके प्रयास करूंगा।
लागत बढी-
श्री मराठे ने बताया की अब मनमाड इंदौर रेलवे परियोजना की अंतिम प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार जो 10 हजार करोड़ से लागत बढ़ कर 22 हजार करोड़ पर पहुंच गई है।
रिपोर्ट में निम्न चीजें प्रस्तावित हैं
- इंदौर मनमाड़ रेल लाइन कुल 268 किलोमीटर की होगी। इसमें धूलिया से नोएडा ने की 50 किलोमीटर की दूरी को कम किया गया इसके चलते दूरी 268 किलोमीटर हो गई
- धुले-मनमाड़ के बीच 50 किलोमीटर पर काम चल रहा है।
- बचे हुए 218 किलोमीटर के लिए 2,200 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी।
- इसी रूट पर 300 छोटे-बड़े ब्रिज बनेंगे।
- 20 किलोमीटर से ज्यादा लंबी 9 टनल बनेंगी।
- इस मार्ग पर 34 स्टेशन बनेंगे
इस प्रोजेक्ट से 6 जिलों को होगा फायदा
इस ट्रैक के बनने से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के छह जिलों यानी इंदौर, धार, खरगोन, बड़वानी, धुले और नासिक को फायदा होगा इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 22,000 करोड़ रु से ज्यादा होगी। इंदौर-मनमाड़ रेलवे लाइन पर ठोस प्रगति हुई है। इंदौर तथा मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों के लिए यह प्रगति की रेल साबित होगी। इस ट्रैक के बनने से सिर्फ इंदौर ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र को फायदा मिलेगा। इंदौर से मुंबई एवं दक्षिण के राज्यों के बीच कनेक्टिविटी सुगम होगी।
ऐसे आई काम में तेजी
इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत चर्चा की थी। इंदौर-मनमाड रेलवे लाइन क का फाइनल लोकेशन सर्वे पूर्ण होकर इसकी डीपीआर रेलवे ने मंजूर कर नीति आयोग को प्ररिक्षण हेतु भेजी गयी है। अब जब रेलवे इस रिपोर्ट का परीक्षण कर चुका है और नीति आयोग को रिपोर्ट भेज चुका है अब मामला नीति आयोग के हाथ में ईसके बाद यदी नीति आयोग इसका अध्ययन कर उचित निर्णय लेकर पॉजिटिव रिपोर्ट अगर बनायेगा तो वित्त मंत्रालय को भेजा जाएग समिति प्रमुख मनोज मराठे ने अनुसूचित राष्ट्रीय जनजाति आयोग अध्यक्ष आदरणीय अंतर सिंह जी मुलाकात कर इस परियोजना की पूरी जानकारी दी और आपसे आग्रह किया इस नीति आयोग से उचित मंजूरी दिलवाने का कष्ट करें और इस मार्ग का निर्माण कार्य मे अगली गतिविधि जमीन अधिग्रहण का कार्य शुरू हो सके। अधिकारी यो ने भी जानकारी दी की