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राष्ट्रपति से मुलाकात कर अनुसूचित जनजाति आयोग राष्ट्रीय अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य व सदस्यों ने योजनाओं व विषय पर काम करने संबंधित पत्रक प्रस्तुत किया


सेंधवा। अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय सदस्यों ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर आभार व धन्यवाद देते हुए उनके कार्यकाल में विभिन्न योजनाओं व विषय पर काम करने संबंधित पत्रक प्रस्तुत किया।
अनुसूचित जनजाति आयोग राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अंतरसिंह आर्य व सदस्य निरुपम चाकमा, कत आशा लकड़ा, जाटोतू हुसैन व सचिव अलका तिवारी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति से मुलाकात कर नियुक्ति पर आभार व्यक्त करते हुए पत्र के माध्यम से आयोग निम्न बिंदुओ पर कार्य करने की रचना भेंट की। जिसमे वार्षिक कार्य योजना के तहत आयोग अनुसूचित जनजाति के कल्याण एवम् विकास हेतु चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों की समीक्षा हेतु प्रत्येक तिमाही में विभिन्न राज्यों का दौरा तथा समीक्षा बैठके की जावेगी। युवा संवाद के तहत अनुसूचित जनजाति के युवा 15 से 22 वर्ष जो की आर्थिक परिस्थियों एवम् शिक्षा के अभाव में भ्रमित होकर बाहरी संगठनों के दबाव में आकर इनको जनजाति संस्कृति से दूर कर रहे है तथा उन्हे द्वारा इनका शोषण किया जा रहा है जिससे हमारी संस्कृति समाप्त हो रही है । इस लिए अनुसूचित जनजाति के युवा में शिक्षा एवम् जनजातीय संस्कृति के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए युवा संवाद कार्यक्रम प्रस्तावित है।

मानव तस्करी की रोकथाम के लिए काम-
मानव तस्करी की रोकथाम राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अनुसूचित जनजाति बाहुल्य राज्यों जैसे झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आदि राज्यों में मानव तस्करी की रोकथाम के लिए कार्य करेंगे। लोक सभा चुनाव के उपरांत देश के विभिन्न राज्यों में अनुसूचित जनजाति का उनके अधिकार एवम् उन्हे प्राप्त विभिन्न सुरक्षणों के बारे में जाग्रति हेतु जागरूकता कैंप का आयोजन किया जायेगा। कैंप कार्यालय के माध्यम से आयोग की पहुंच बड़ाना वर्तमान में आयोग के सिर्फ 6 क्षेत्रीय कार्यालय है अतः अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की समस्या के निराकरण हेतु अन्य राज्यों में कैंप कार्यालय खोलना प्रस्तावित है। अनुसूचित जनजातियो के विचाराधीन बंदियों एवम् सजायाफ्ता कैदियों को न्यायिक उपचारों/प्रावधानों का लाभ दिलाया जाना।


जनजाति के बहुत से विचाराधीन बंदी वर्षाें से जेलों में निरुद्ध है जिन आरोपों पर उन्हें जेलों में विचाराधीन कैदी के तौर पर बंद रखा गया है, उन पर दिए जाने वाले अधिकतम दंड से अधिक अवधि जेल में व्यतीत कर चुके हैं पर शिक्षा जानकारी, एवम् जमानत राशि के अभाव में जेलों में निरुद्ध है । आजीवन कारावास से प्राप्त इन वर्गों के कुछ बंदी सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में ही है ओर उन्हे न्यायिक उपचारों का लाभ नही मिल पा रहा है आयोग विभिन्न राज्यों से जानकारी मांगी है इन बंदियों की सहायता किसी की जाए इस विषय पर कार्य करेंगे ।
सुप्रीम कोर्ट इंतरशिप न्यायिक सेवाओं में पदो और अधिवक्ता के रूप में अनुसूचित जनजाति के कमतर प्रतिनिधित्व को देखते हुआ आयोग सर्वाेच्च न्यायालय के साथ मिलकर एक इंटर्नशिप स्कीम बना रही है जिससे अनुसूचित जनजाति के लॉ ग्रेजुएट्स को सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश के साथ मिलकर 1 वर्ष की इंटरशीप कराई जावेगी जिससे वे अपना कैरियर बना सके ।

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