सेंधवा; भागवत की परिक्रमा करने से राधाकृष्णजी की परिक्रमा का फल मिलता है

सेंधवा। भागवत ग्रंथ का नाम भागवत क्यों पड़ा, इस ग्रंथ का सबसे पहले वाचन स्वयं भगवान ने किया। इसलिए इसका नाम भागवत पड़ा। कुछ लोगों में संशय है कि भगवान और भागवत में अंतर है। यह सही नहीं है। भगवान ही भागवत ग्रंथ के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने इसका वाचन किया। उक्त प्रवचन दिव्य मुरारी बापू ने वैभव इंडस्ट्रीज निवाली रोड में आयोजित भागवत कथा के पहले दिन दिए।
बापू ने बताया की भागवत की परिक्रमा करने से राधाकृष्णजी की परिक्रमा का फल मिलता है। भागवतजी को नमन करने से राधाकृष्णजी को नमन करने का फल मिलता है। भागवत भक्तों के चरित्र की कथा है। इस कथा को सुनने वाले से पूछा गया की आप कौन है तो उन्होंने कहा हम भक्त है। जब भगवान से पूछा गया आप कौन हैं तो उन्होंने कहा की हम भक्तों के भक्त है। जो भक्त दिल से भक्ति में लीन होते है, भगवान उसकी भक्ति में लीन हो जाते है। भागवत में बताया की नर-नारी में किसी एक की उपासना करना व दूसरे की उपेक्षा करना उचित नहीं है। जैसा की श्रीरामजी के साथ सीताजी जुडी है, जैसे सीताराम, कृष्णजी के साथ राधाजी, शंकरजी के साथ गौरी जुड़ी है। इसलिए दोनों की उपासना करना चाहिए।

जो भगवान की सेवा करे वह श्री और भगवान जिनकी सेवा करे वह श्रीजी-
अयोध्या के महल में सेवा करने वालों की कमी नहीं थी। सभी सेवक गुणी थे, किंतु माता सीता भगवान राम की सेवा खुद करती है। इसलिए माता सीता का नाम भी श्री पड़ा जो भगवान की सेवा करती वह श्री है। जो भगवान की सेवा करते है वह श्री है। भगवान जिनकी सेवा करते है वह श्रीजी है। जीवन में हमेशा याद रखना चाहिए अपना नाम बार-बार नहीं लेना चाहिए और ना ही अपने से बड़े का नाम भी बार-बार लेना चाहिए। लेना है तो आदर से लेना चाहिए।

बापू ने प्रभु नाम का संकीर्तन किया-
बापू ने कथा का वाचन करने से पूर्व प्रभु नाम का संकीर्तन करते हुए श्रीकृष्ण गोपाल हरे, रघु दिनदयाल हरे, …राधे श्याम राधे श्याम श्याम श्याम राधे राधे ….., मदन मोहन जरा बंशी बजा दोंगे तो क्या होगा …. आदि भजनों का कीर्तन किया कथा प्रारंभ से पूर्व कथा यजमान राजेंद्र शर्मा ने भागवत गंथ की पूजा कर आरती की। इस दौरान परिवार व रिश्तेदार भी मौजूद रहे।

अग्रवाल कॉलोनी से निकली शोभा यात्रा-
श्रीमद् भागवत कथा के लिए अग्रवाल कॉलोनी स्थित चैतन्य महादेव शिव मंदिर से प्रातः 8 बजे बैंड बाजा के साथ भागवत गं्रथ की शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में कृष्ण राधा का रूप धारण कर कन्या नाचते हुए शामिल हुई। वहीं 51 कलश लेकर महिलाएं चल रही थी। कथा वाचक संत दिव्य मुरारी बापू रथ में सवार थे। यजमान राजेंद्र शर्मा, पुत्र वैभव शर्मा के साथ भागवत ग्रंथ को सिर पर रख कर चल रहे थे। इस दौरान भक्तगण बारी-बारी से गं्रथ को अपने सिर पर रख कर आगे बढ़ते रहे। शोभायात्रा कथा स्थल निवाली रोड वैभव इंडस्ट्रीज पर पूजा अर्चना के साथ संपन्न हुई।
