सेंधवा में मातृशक्ति महिला मंडल ने बाजे-गाजे के साथ निकाला गणगौर का बाना

सेंधवा।
मातृशक्ति महिला मंडल के द्वारा गणगौर माता का भव्य बाना निकाला गया। बाना वेलोसिटी कॉलोनी से प्रारंभ होकर शगुन गार्डन पहुंचा। शगुन गार्डन में महिलाओं ने फूल पाती खेली। महिलाएं बैण्ड बाजे पर नाचते गाते हुए शगुन गार्डन पहुंची। बाने में ईसर गणगौर के रूप में शिव पार्वती विराजित थे और मंडल की महिलाएं सिर पर कलश एवं गणगौर माता धारण किए हुए चल रही थी। बाने का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया एवं शिव-पार्वती की आरती उतारी गई। मंडल की अंतिम बाला शर्मा ने बताया कि
गणगौर का अर्थ गण और गौर गण का तात्पर्य शिव (ईशर ) और गौर का अर्थ है पार्वती। वास्तव में गणगौर पूजन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन यानि चौत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला गणगौर का त्योहार स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है। पार्वती जी की मनोकामना पूरी हुई और पार्वती जी की शादी शिव से हो गई। तभी से कुंवारी कन्या इच्छित वर पाने के लिए और सुहागिन स्त्री पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत करती है। खासतौर से यह पर्व मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में मनाया जाता है। इस पर्व में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा होती है। महिलाएं गणगौर पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा कुमहार के यह से लाती है और पूजा करती है। यह पूजा पूरे 17 दिन तक चलती है। यह पूजा बिना गीतों के अधूरी मानी जाती है। गीतों के जरिए गणगौर माता की प्रशंसा, माता पार्वती की भक्ति और उनके विवाह की खुशी का गान किया जाता है। मुख्य रूप से गणगौर पूजा में औडो कोडो गीत, बधावे का गीत, जवारे का गीत, सूरज को अरग देने का गीत, गणगौर को पानी पिलाने का गीत शामिल है। गणगौर कथा के अनुसार देवी पार्वती भक्ति का अवतार है और अपनी लंबी तपस्या और भक्ति से वह भगवान शिव से विवाह करती है। गणगौर के दौरान माता पार्वती आशीर्वाद लेने अपने माता-पिता रिश्तेदार और दोस्तों के साथ खुशी के समय बिताने के लिए अपने घर (पियर) आती है। इसीलिए गणगौर का त्यौहार चौत्र मास की पूर्णिमा से शुरू होकर चौत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को समाप्त होता है।
