सेंधवा; कुम्हार के घर से गणगौर के जोड़े घर लाकर माता को भ्रमण करवा कर गणगौर गीत गाए

सेंधवा। मारवाड़ी समाज के गणगौर पर्व के तहत कुम्हार के घर से गणगौर के जोड़े को घर लाया गया। माता को भ्रमण करवा कर गणगौर गीत गाए गए। समाज की अंतिम बाला शर्मा ने बताया कि होली के दूसरे दिन से शुरू होने वाले पर्व पर लड़कियों ने जोड़ा बनाकर पूजा की। होली की राख से आठ पिंडी बनाकर पाटे पर रखकर साथ में बिजोरा बनाकर उसकी पूजा कंकु हल्दी, मेहंदी, चावल की जा रही है। कुंवारी लड़कियां 8 बार एवं विवाहित 16 बार गोर-गोर गणपति ईशर पूजे पार्वती बोलकर गणगौर की पूजा कर रही है। कहानी सुनकर भगवान को अर्घ्य देते हैं। सप्तमी के दिन गाजे बाजे के साथ कुम्हार के घर से गणगौर के जोड़े लाकर उन्हें सजाया गया। इसमें ईसर, गणगौर, मालन ,माली और विमल दास जी होते हैं। सप्तमी से इनकी पूजा शुरू हो जाती है। इसी दिन से जवारे बोए गए। शाम को गणगौर को बाहर घुमाया जाता ह एवं झाले लिए जाते हैं। लड़कियां बिंदोरी देती है एवं विवाहित लड़कियां लड़कियां गोट देती है। इंदिरा कॉलोनी महिला मंडल धूमधाम से बैण्ड बाजे से कुमहार के घर से गणगौर के जोड़े लेकर आई।
