बड़वाह; हायवे पर किसानो की जमीन अधिग्रहण का मामला, खरगोन से आए दल ने 6 घंटे तक तीन किसानो की जमीन का किया सीमांकन
दल ने कहा-कलेक्टर को सौंपेंगे सीमांकन रिपोर्ट,किसान बोले-अधिग्रहण करे तो आज की गाईडलाईन से दे मुआवजा

विशाल कुमरावत बड़वाह
ग्राम नांदिया के किसानो ने नांदिया-आगरवाडा मार्ग पर बन रहे हायवे का एलायमेंट गलत करने का आरोप सड़क निर्माण कर रहे ठेकेदार पर लगाया है।साथ ही किसानो का कहना है की पहले से अधिग्रहण कर चुके जमीन को छोड़कर निर्माण एजेंसी उनके अधिपत्य क्षेत्र के भूखंड से सड़क निकाल रही हैषजिसे लेकर पहले भी ग्रामीण,ठेकेदार आमने-सामने आए थे।इसकी की शिकायत एसडीएम प्रताप सिंह अगास्या से लेकर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा तक की थी।जिसके बाद मंगलवार दोपहर में कलेक्टर के आदेश पर जमीन के सीमांकन के लिए दल आया,देर शाम तक यह सीमांकन चलता रहा।इस दौरान प्रशासनिक अधिकारीयो का कहना है की सीमांकन में यह देखा जा रहा है की अधिग्रहण के पश्चात किसानो के पास कितनी जमीन शेष बच रही है और उन्हें कितनी जमीन का मुआवजा दिया जा रहा है।सीमांकन करके इसकी जानकारी कलेक्टर को दी जाएगी।इधर किसानो का कहना है की यदि एक वर्ष पहले अधिगृहित की गई जमीन के अतिरिक्त जमीन प्रशासन को चाहिए तो वह इसका मुआवजा आज की गाईडलाईन के अनुसार दे।वही प्रशासन फ़िलहाल इस मामले में मौन है।
करीब 6 घंटे तक चला सीमांकन-खरगोन से आए दल ने घीसीबाई पति मन्नालाल,लक्ष्मीबाई बेवा कन्हैया,भगवान पिता जगन्नाथ की जमीन का सीमांकन किया।इस दौरान एसडीएम भी मौके पर पहुंचे।यहाँ दल ने बड़ी बारीकी से किसानो की की जमीन का मापन किया।मौके पर ग्रामीण भी थे।ग्रामीणों ने अधिकारियो से कहा की सड़क के एलायमेंट में परिवर्तन होने का खामियाजा किसान क्यों भुगते।अनधिकृत रूप से हमारे खेतो में घुसने के बजाय हमे मुआवजा दे,लेकिन पुरानी नहीं अभी की गाइडलाइन के अनुसार हमे मुआवजा मिलना चाहिए।इस पर प्रशासन ने एक बार फिर से किसानो के साथ बैठक कर मामले का हल निकालने की बात कही है।
यह था मामला-जितेन्द्र परिहार ने बताया की एनएचएआई ने हायवे
निर्माण के लिए नांदिया-आगरवाडा मार्ग पर स्थित घीसीबाई पति मन्नालाल (0.720 हैक्टेयर),लक्ष्मीबाई बेवा कन्हैया(0.329 हैक्टेयर),भगवान पिता जगन्नाथ(0.160 हैक्टेयर)की जमीन अधिग्रहित की थी।एक साल पहले इसके लिए अवार्ड भी पारित कर दिया था।अधिकारियो की मौजदूगी में करीब 60 मीटर रोड के लिए आवश्यक जमीन का निर्धारण कर लिया गया था।जिसके बाद शेष भूमि पर किसान खेती करने लगे थे।लेकिन तीन माह पूर्व सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार के लोग आए और तीनो किसानो से कहने लगे की उनकी भूमि के कुछ क्षेत्र से सड़क निकलेगी।इस पर किसानो ने कहा की सड़क निर्माण के लिए आवश्यक भूमि आधिग्रहण कर चुके है।उसी पर से सड़क निकाले।आतिरिक्त कृषि भूमि वे नही देंगे।इसी को लेकर किसान पिछले तीन महीने से परेसेहन हो रहे है।उनका कहना है की अधिकारी व ठेकेदार के लोग दबाव बना रहे है।जबकि वे बिना अधिग्रहण प्रक्रिया और मुआवजे के अपनी भूमि नही देंगे।इसके लिए वे केवल मौखिक रूप से ही जमीन खाली करने के लिए बोल रहे है।