“मनमानी”की मनरेगा, कार्य पूर्ण होने के बाद भी होते रहता है मनमाना भुगतान!


भीकनगांव,सत्याग्रह लाइव:- जनपद पंचायत भीकनगांव की ग्राम पंचायतों में मजदुरो को श्रम मूलक रोजगार उपलब्ध कराने उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा योजना के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा अनुरूप जनपद पंचायत भीकनगांव की ग्राम पंचायत सुन्द्रेल में भी 14.74 लाख रुपए की लागत से उन्दरिया के खेत पास एक अमृत सरोवर तालाब की स्वीकृति वित्तीय वर्ष 2023-24 में दी गई है तथा निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत को अधिकृत किया गया है । इस अमृत सरोवर तालाब का कार्य को वर्षा ऋतु प्रारंभ होने तक पुर्ण करने के निर्देश दिए गए थे । ग्राम पंचायत सुन्द्रेल ने 06.04.2022 को कार्य प्रारंभ कर जनसहयोग तथा मनरेगा अनुदान से राशि भुगतान कर जुलाई 2022 में कार्य पुर्ण करवा दिया। तत्समय मनरेगा अनुदान से अकुशल श्रमिकों को मजदूरी पर 1 लाख 79 हजार 777 रूपये तथा सामग्री पर 3 लाख 24 हजार 876 रूपये इस प्रकार कुल 5 लाख 4 हजार 653 रूपये तथा ग्रामीणों के जनसहयोग से कार्य पूर्ण कराया गया था। ग्रामीणों द्वारा जनपद पंचायत भीकनगांव के सीईओ को बाकायदा एक लिखित आवेदन तथा कार्य का स्वच्छ फोटोग्राफ के साथ दिनांक 12.10.2023 को अवगत कराया था कि अमृत सरोवर का कार्य पुर्ण हो गया है तथा सरोवर में बारिश का पानी भी लबालब भर गया है तथा भुगतान भी हो चुका है। इस सरोवर के निर्माण में अब कोई कार्य शेष नहीं रह गया है साथ ही ग्रामीणों ने सीईओ से निवेदन किया था कि सरपंच, सचिव तथा रोजगार सहायक को निर्देशित करे कि अधिक स्वीकृत राशि लगभग 10 लाख रूपये का मनमाना भुगतान न करें। बावजूद इसके ग्रामीणों के आवेदन पर कोई कार्यवाही नही की गयी तथा सरपंच , सचिव तथा रोजगार सहायक द्वारा लगातार साप्ताहिक मस्टर रोल पर फर्जी मजदुरो की उपस्थिति दर्शाकर लगभग 4 लाख 50 हजार रुपए की मजदूरी भुगतान करना दिया है। मनरेगा योजना में शासन स्तर से निर्देश दिए गए हैं कि सामुदायिक मूलक कार्य में मजदूरी करने वाले मजदूरों का मौके पर नियमित MMS करना अनिवार्य है। ग्रामीणों के अनुसार जब जुलाई 2022 में ही अमृतसरोवर का कार्य पुर्ण हो गया था तो उसके बाद जारी करायें गये मस्टरो के अनुसार मज़दूरों ने क्या कार्य किया ? उन मजदूरों का सहायक सचिव द्वारा मौके पर आनलाइन MMS कैसे हो गया ? संबंधित उपयंत्री ने मजदूरों के कार्य का सत्यापन कैसे किया ? ग्रामीणों की लिखित सूचना को नजरअंदाज कर सीईओ ने भुगतान क्यों ओर कैसे कर दिया ? इस तरह के प्रश्न कहीं न कहीं “मनरेगा योजना में मनमानी” के शीर्षक को सिद्ध करने की ओर इशारा करता है।

