
सेंधवा। जैन आचार्यों के महाप्रयाण पर सकल जैन समाज ने रविवार को शहर में विनयांजलि सभा का आयोजन किया। श्री श्वेतांबर जैन मंदिर उपाश्रय में आयोजित विनयांजलि कार्यक्रम में राष्ट्रसंत श्वेतांबर समाज के गच्छाधिपति परम पूज्य गुरुदेव श्री दौलतसागर सुरिश्वरजी म.सा. (१०३ वर्ष) एवं श्री दिगंबर समाज के संत शिरोमणि आचार्य प्रवर परम पूज्य गुरुदेव १०८ श्री विद्यासागरजी म.सा. (७८ वर्ष) दोनों महान विरल विभूतियों को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर समाज के बीएल जैन ने कहा की शिरोमणी आचार्य विद्यासागर जी ने क्रोध, मान, माया एवं लोभ जैसे पापाचरण पर विजय प्राप्त कर अहिंसा व त्याग के मार्ग को आत्मसात कर लिया था। इसलिए वे वर्तमान के वर्धमान बोले जाते थे। श्री जैन ने अपने व्यक्तिगत अनुभव बताते हुए कहा कि अनेकों बार जब-जब उनके दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, तब-तब हजारों की संख्या में उनके भक्तों के बीच दुर से दर्शन करके भी मन को शांति का अनुभव होता था। इस उम्र में भी जब वो पैदल विहार करते थे तो एक युवा से भी अधिक उनकी रफ्तार होती थी। ऐसे महान संतद्वय को सच्ची विनयांजली यही होगी कि उनके एक भी गुण को आत्मसात कर जीवन में अपना सके। स्वामी विवेकानंद कॉलेज के प्राचार्य केसी पालीवाल ने कहा की आचार्य श्री जैन समाज के गुरु ही नहीं सकल समाज के गुरु थे। उनकी बातों को समझ कर जीवन में उतारने का प्रयास करे।
आचार्य श्री के मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि-
सिख समाज के अजयपाल सेठी ने कहा की आचार्य श्री के मार्गों पर चलना ही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। सर्व मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष बद्रीप्रसाद शर्मा ने कहा गुरुओं के दर्शन मात्र से ही पापों का नाश होता है। हमे अपनी बुरी आदतों को छोड़ना चाहिए। यही इनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रो. एचडी वैष्णव ने कहा की महापुरुष के स्वर्गवास होने पर दुख भी होता है और उनके बताए हुए मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी मिलती है। इस अवसर पर सुनील अग्रवाल, अशोक पाटनी, आशीष जैन, परेश पालीवाल, अंजली सोनवने, योगिता पाटनी ने भी अपनी बात कही।
आचार्यजनों के जीवन पर प्रकाश डाला
कार्यक्रम की शुरुआत में लीना जैन ने आचार्य दौलत सागर जी और सौरभ जैन ने आचार्य विद्यासागर जी का जीवन परिचय दिया। आज इस अवसर पर अग्रवाल समाज अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल, गुजराती समाज अध्यक्ष निलेश जैन, महाराष्टीयन समाज से छोटू चौधरी, अशोक नागड़ा, अंबालाल शाह, परेश सेठिया, गिरीश नागड़ा, भूषण जैन, महावीर जैन, सुरेश पेंटी, निशा शर्मा, सुप्रिया वैध आदि मौजूद थे। कार्यकर्म का संचालन सुरेश बागरेचा ने किया।