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पांच दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव का यज्ञ-हवन के साथ समापन

रामराज्य की नींव केवट जैसे अंतिम छोर के
नाविक को गले लगाकर रखी गई-दीदी मां
स्कीम 51 एवं संगम नगर में चल रहे पांच दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव का यज्ञ-हवन के साथ समापन

इंदौर,। भक्ति निष्काम होगी तो शबरी की तरह भगवान हमारे जुठे बेर भी स्वीकार कर लेंगे, लेकिन पाखंड और प्रदर्शन वाली भक्ति से कभी खुश नहीं होंगे। राम हमारी भारतीय संस्कृति और धर्म क्षेत्र के सर्वोच्च आदर्श हैं। राम कथा संशय को ही दूर करने का सबसे सहज और सरल माध्यम है। हमें मनुष्य शरीर भगवान की कृपा से ही मिला है। राम नाम का स्मरण ही सच्ची भक्ति है। केवट को गले लगाकर भगवान ने अपने वनवास की शुरुआत की थी। यह प्रसंग उदाहरण है कि राम राज्य की स्थापना की नींव केवट जैसे अंतिम छोर के नाविक को गले लगाकर रखी गई है। भगवान ने वनवास में दलितों के साथ ही पशु पक्षियों तक को प्रेम ही बांटा है। राम राज्य का यही मूल संदेश है।
ये दिव्य विचार हैं प्रख्यात रामकथा कथाकार दीदी मां मंदाकिनी श्रीराम किंकर के, जो उन्होंने गुरुवार को प्राणम्बरा माताजी मंदिर समिति स्कीम 51 एवं श्रीराम शिवशक्ति मंदिर समिति संगम नगर के तत्वावधान में गत 7 जनवरी से चल रहे श्रीराम महोत्सव में समापन प्रसंग पर यज्ञ, हवन एवं धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। यज्ञ हवन में स्कीम 51 एवं संगम नगर के सैकड़ों युगलों ने आहुतियां समर्पित कर परिवार, समाज और राष्ट्र में सुख शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से अनूप जोशी, अरविंद गुप्ता, पराग कौशल, गोविंदसिंह पवार, सुरेन्द्र वाजपेयी, लोकेश अवस्थी, गिरेन्द्रसिंह भदौरिया, राहुल लांभाते, अमित बंटु शुक्ला एवं आचार्य अंकित व्यास आदि ने दीदी मां का स्वागत किया। आयोजन में सहयोग देने वाले सभी बंधुओं को भी दीदी मां ने सम्मानित किया। वरिष्ठ समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, गोपालदास मित्तल, राधाकिशन सोनी, रवि सिंगी, गोविंद अग्रवाल एवं रवीन्द्र गुप्ता (उज्जैन), गगन यादव, दीपक लिम्बा, योगेश अग्रवाल आदि ने पूर्णाहुति में भाग लिया। दीदी मां अपने साथ सवा करोड़ राम नाम लिखी पुस्तिकाएं भी लेकर अयोध्या के लिए प्रस्थित हुई। उन्हें आत्मीय एवं गरिमापूर्ण बिदाई दी गई।
दीदी मां ने कहा कि राम चरित मानस की कथा त्रेता युग की राम कथा नहीं, हम सबकी कथा है। सारे ग्रंथों का निचोड़ राम चरित मानस में भरा हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास ने मानस के रूप में दुनिया को एक ऐसा ग्रंथ दिया है, जिसमें जीवन की सभी समस्याओं के लिए संजीवनी मौजूद है। यह वह कथा है, जो प्रभु राम के आदर्श चरित्र के कारण हमारे अंतःकरण से लेकर घर-परिवार, मोहल्ले, समाज और राष्ट्र में सुख और शांति की स्थापना कर सकती है। अब तो अयोध्या में स्वयं रामलला विराजमान हो रहे हैं तो यह निश्चित मानिए कि भारत भूमि के लिए यह एक गौरवशाली ऐसा क्षण है, जो नया इतिहास और कीर्तिमान बनाएगा।

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