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चित्त और चरित्र में भी बदलाव लाती है रामकथा – डॉ. सुरेश्वरदास

बर्फानी धाम के पीछे गणेश नगर में चल रही रामकथा में आज राम-सीता विवाह प्रसंग की होगी व्याख्या-भजनों पर थिरक रहे श्रद्धालु

इंदौर, । राम भारत भूमि के पर्याय हैं। ‘राम’ ही हमारी पहली अभिव्यक्ति है। राम सनातन सत्य है। जिस नाम से चित्त में विश्रांति आती है, उसका नाम ‘राम’ ही हो सकता है। रामकथा से दोष-दर्शन मिटता है। धन्य वह है जिसके जीवन में राम की अनुभूति हुई हो। रामकथा सदगुणों को जागृत करती है। रामकथा चित्त में परिवर्तन करती है। चित्त में बदलाव आएगा तो चरित्र में भी आएगा ही। चित्त भगवान की कथा से जुड़ जाए तो संसार विस्मृत होगा ही, भले ही यहां तीन घंटे के लिए हो रहा हो। यह चरित्र परिवर्तन की कथा है।
बर्फानी धाम के पीछे स्थित गणेश नगर में माता केशरबाई रघुवंशी धर्मशाला परिसर के शिव-हनुमान मंदिर की साक्षी में चल रही रामकथा में मानस मर्मज्ञ आचार्य डॉ. सुरेश्वरदास रामजी महाराज ने उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। भक्तों ने रामचरित मानस का भी पूजन किया। कथा के दौरान मनोहारी भजनों पर समूचा पांडाल पहले दिन से ही झूम रहा है।

डॉ. सुरेश्वरदास ने कहा कि मंदिर से लेकर खेत खलिहानों, पगडंडियों से लेकर महानगरों तक कोई शब्द यदि बार-बार ध्वनित होता है तो वह है राम। रामकथा से बुद्धि शुद्ध होती है। रामकथा भी मंदाकिनी है। जहां रामकथा होती है, वहां भक्ति, प्रेम, आनंद, श्रद्धा, अनुरक्ति, पावन बुद्धि एवं समर्पण का पर्यावरण बन जाता है। भगवान जब व्यापक होते हैं तो सारा संसार उनके वश में होता है। राम सच्चिदानंद है। परमात्मा के आनंद की कृपा की एक बूंद भी त्रैलोक्य के सुख से भी महान है। रामकथा से तन को पुष्टि, मन को तुष्टि और बुद्धि को दृष्टि मिलती है। राम ने वनवास के दौरान भी शोषित और दलित मानवता को गले लगाकर राम राज्य की आधारशिला हैं।

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