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भागवत सदगुणों से भरा हुआ ऐसा महासागर, जिसमें जितना गहरा उतरेंगे, उतने हीरे-मोती हाथ लगेंगे

भागवत में वह सब कुछ है, जो हमारे जीवन को सार्थक बना सकता है,

गीता भवन परिसर में भागवतजी की शोभायात्रा के साथ हुआ सात दिवसीय ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ

इंदौर, । भागवत में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का समन्वय है। भागवत तो हमने पचासों बार सुनी होगी, लेकिन सवाल यह है क भागवत सुनने के बाद हमारे जीवन में कोई बदलाव आया या नहीं। भागवत में तो हम रोज ही बैठते हैं, लेकिन मुख्य मुद्दा यह है कि भागवत हमारे अंदर कितना बैठी। जीवन में तब तक कोई बदलाव नहीं आ सकता, जब तक हम अपने श्रवण को सार्थक नहीं बनाएंगे। भागवत जीवन को सदगुणों से अलंकृत करने के गहनों से भरा ऐसा महासागर है, जिसमें जितना गहरा उतरेंगे, उतने ज्यादा हीरे-मोती हमारे हाथ लगेंगे।

वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज के सानिध्य में गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट की ओर से आयोजित इस दिव्य आयोजन का शुभारंभ गीता भवन परिसर में भागवतजी की शोभायात्रा के साथ हुआ। ट्रस्ट के प्रमुख कनकलता–प्रेमचंद गोयल एवं कृष्णा-विजय गोयल सहित सैकड़ों भक्तों ने भागवतजी को मस्तक पर विराजित कर राम दरबार से कथास्थल सत्संग सभागृह तक पहुंचाया। व्यासपीठ के पूजन के बाद साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि भागवत में वह सब कुछ है, जो हमारे जीवन को सार्थक बना सकता है, लेकिन यह तभी संभव होगा, जब हम श्रद्धा और विश्वास के साथ भागवत की शरणागति को प्राप्त करें। भागवत स्वयं भगवान के श्रीमुख से निर्झरित सदगुणों का खजाना है, जो हमारे जीवन को अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ा सकता है।

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