चौराहे पर भटक रहे यात्री को जीवन की सही दिशा में ले जाती है भागवत-पं.आयुष्य दाधिच
इंदौर, । भागवत केवल ग्रंथ नहीं, हम सबके जीवन को सदगुणों से अलंकृत करने का सबसे सरल माध्यम है। यह ज्ञान और भक्ति के साथ सेवा के मार्ग पर ले जाने वाला वह प्रकाश स्तंभ है, जो अंधकार में चौराहे पर भटक रहे यात्री को सही दिशा में ले जाता है। भागवत जैसे धर्मग्रंथों की प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं हो सकती, क्योंकि यह साक्षात भगवान का ही स्वरूप है। यही कारण है कि हजारों बार भागवत कथा सुन लेने के बाद भी भागवत बार-बार सुनने की इच्छा बनी रहती है। यह इच्छा ही हमारी भक्ति का प्रमाण है। जीवन में परमार्थ के जितने अधिक काम करेंगे, प्रभु हमसे उतने ज्यादा प्रसन्न रहेंगे। किसी की आंखों के आंसू पोंछने से बड़ा कोई पुण्य नहीं हो सकता।
आचार्य पं. दाधिच ने कहा कि भागवत जैसी धरोहरों के कारण ही भारत भूमि हमेशा विश्व वंदनीय रही है। भागवत ऐसा ग्रंथ है, जिसकी प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं हो सकती। भागवत के श्रवण से भक्ति रूपी पुरुषार्थ का उदय होता है। भागवत का श्रवण करने वाले तो पुण्य के हकदार हैं ही, श्रवण कराने वाले भी उनसे ज्यादा पुण्य के पात्र होते हैं। कथा सुनने, सुनाने वालों से भी ज्यादा पुण्य कथा कराने वालों को मिलता है, जो अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते है।