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राज्य में सरकारी निर्माण में लाल ईंटों के प्रयोग पर प्रतिबंध के मामले में आल इंडिया एसो. तक हुई गूंज

केवल फ्लायऐश से बनी ईंटें ही वापरने का फरमान-राज्य के ईंट निर्माता संकट में – सरकारी कामों की गुणवत्ता भी प्रभावित

इंदौर, । मध्यप्रदेश में सरकार ने शासकीय निर्माण कार्यों में ईंट भट्टों पर बनाई जाने वाली लाल ईंटों का प्रयोग प्रतिबंधित कर रखा है। राज्य सरकार के इस फरमान से प्रदेश के हजारों ईट निर्माता तो संकट में आ ही गए हैं, शासकीय निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। शासन ने लाल ईंट के बजाय फ्लायऐश से निर्मित ईंटों का प्रयोग शुरू करने के आदेश दिए हैं। पिछले दिनों गुवाहाटी (असम) में आयोजित  ऑल इंडिया ब्रिक्स एंड टाईल्स फेडरेशन नई दिल्ली की कार्यकारिणी की बैठक में म.प्र. ब्रिक्स एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर देशभर से आए ईंट निर्माताओं के संगठनों का ध्यानाकार्षण किया था, अब आल इंडिया एसो. ने  राज्य की शिवराज सरकार को इस मुद्दे पर घेरा है।

            म.प्र. ब्रिक्स एसो. के प्रदेशाध्यक्ष रमेशचंद्र प्रजापति, रमेश कश्यप एवं पन्नालाल कश्यप ने बताया कि देश के अन्य राज्यों में शासकीय निर्माण कार्यों में ईंट भट्टों पर पकाई गई लाल ईंट का प्रयोग ही किया जा रहा है, किन्तु म.प्र. सरकार ने फ्लायऐश से निर्मित ईंटों का प्रयोग करने के आदेश देकर सरकारी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह सही है कि बड़े उद्योगों एवं कारखानों से निकलने वाले फ्लायऐश (राख) का उपयोग करने पर केन्द्र सरकार ने अनेक समितियां भी गठित की और उनकी सिफारिशों पर पहले लाल ईंट के निर्माण में फ्लायऐश का उपयोग करने की सिफारिश की थी और ईंट निर्माताओं ने भी फ्लायऐश का उपयोग करना शुरू कर दिया था, लेकिन अब राज्य सरकार ने सिर्फ फ्लायऐश से निर्मित ईंटों का ही प्रयोग सरकारी कामों में करने का फरमान जारी कर दिया है। इसके अलावा प्रतिवर्ष बेमौसम होने वाली ओलावृष्टि और अतिवृष्टि के कारण भी ईंट भट्टा संचालकों को काफी आर्थिक हानि उठाना पड़ रही है। यही नहीं, मध्यप्रदेश में जिस तरह अन्य लघु एवं कुटीर उद्योगों का बीमा होता है, उस तरह ईंट भट्टा उद्योग के लिए बीमे की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसी तरह राज्य सरकार की ओर से प्रजापति समाज को मिट्टी की रायल्टी में छूट तो दी गई है, लेकिन खनिज विभाग के अधिकारियों द्वारा चाहे जब, चाहे जहां मिट्टी के वाहन को रोककर रायल्टी एवं अनुमति पत्र की मांग की जाती है और नहीं होने पर दंडात्मक कार्रवाई का शिकार बनाया जाता है। राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि एक बार अनुमति लेने के बाद प्रजापति समाज को बार-बार अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इसके बावजूद भी खनिज विभाग के अधिकारी ईंट निर्माताओं को, जो अधिकांश प्रजापति समाज के ही हैं, परेशान किया जा रहा है।

गुवाहाटी के सम्मेलन में म.प्र. ब्रिक्स एसो. की ओर से इन सभी मुद्दों पर ध्यानाकर्षण कर उनसे आग्रह किया गया था कि वे मध्यप्रदेश सरकार से उच्च स्तर पर संवाद करें और इन समस्याओं से राज्य के ईंट निर्माताओं को राहत दिलाएं। ऑल इंडिया ब्रिक्स एंड टाईल्स फेडरेशन नई दिल्ली ने इन सभी समस्याओं पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से मांग की है कि राज्य के ईंट निर्माताओं को होने वाली इन दिक्कतों से निजात दिलाई जाए। इन मुद्दों पर आल इंडिया एसो. ने मुख्यमंत्री चौहान से मिलने के लिए समय मांगा है। एसो. के पदाधिकारी जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस गंभीर मुद्दे पर उनका ध्यानाकर्षण करेंगे

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