खजराना गणेश को बाँधी भारत की उपलब्धियों वाली राखी
भारत का मानचित्र, चन्द्रयान -3, नया संसद भवन के साथ ही राष्ट्रीय चिन्ह, सेगोल राजदंड को निहारा हजारों भक्तों ने

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट
भारत का मानचित्र, चन्द्रयान -3, नया संसद भवन के साथ ही राष्ट्रीय चिन्ह, सेगोल राजदंड को निहारा हजारों भक्तों ने
इंदौर।।खजराना गणेश को बाँधी जाने वाली विश्व की सबसे बड़ी राखी रक्षाबंधन पर्व पर रात्रि 9 बजे विद्वान पंडितों के सानिध्य मे बाँधी गई। इस अवसर पर सेकड़ों की संख्या मे भक्त मौजूद थे।
राखी निर्माता पुण्डरीक पालरेचा एवं शांतु पालरेचा ने बताया की इस अवसर पर कलेक्टर इलिया राजा, सांसद शंकर लालवानी, विधायक रमेश मेंदोला एवम
खजराना गणेश को बाँधी गईं राखी मोहन भट्ट, अशोक भट्ट एवं सतपाल महाराज के सानिध्य मे चढ़ाई गईं। इस वर्ष की राखी देश की उपलब्धियों पर बनाई गई है। जो पूर्ण रूप से हेंडवर्क से बनाई गई है। इसमें सलमा, सितारा, नग-नगीने व जरदोसी के साथ ही आर्टिफिशियल फ्लॉवर से तैयार की गई है। खजराना गणेश को बांधी जाने वाली विशाल राखी में दुनिया के साथ ही भारत का मानचित्र, चंद्रयान-3, नया संसद भवन, वंदे भारत, राष्ट्रीय चिन्ह एवं राजदंड सेंगोल की हुबहु प्रतिकृति इस राखी में बनाई गई है। देश भक्ति के साथ ही भारत की उपलब्धियों को दर्शाती खजराना गणेश की यह विशाल राखी ने देश की उपलब्धियों को सभी आमजनों के जहन को ताजा किया। रक्षाबंधन पर्व पर आयोजित कार्यक्रम मे शैलेन्द्र गुप्ता, धीरज, जयेश, मितेश, नानेश पालरेचा सहित सेकड़ो भक्त उपस्थित थे।
नग-नगिनों से तैयार की पोषाख – पुण्डरिक पालरेचा ने बताया कि खजराना गणेश को बांधी जाने वाली विशाल राखी के साथ ही भगवान गणेश की पोषाखों को भी नग-नगिनों से तैयार किया गया थी जिसमें भगवान की सूंड, आंखे, त्रिशूल के साथ ही गणेश परिवार की पोषाख तैयार की गई थी।
इन्दौर के 10 अति प्राचीन मंदिर में भी बांधी जाएगी राखी- पुण्डरिक पालरेचा एवं शांतु पालरेचा ने बताया कि खजराना गणेश के साथ ही इन्दौैर के 10 अति प्राचीन मंदिरों के लिए भी 24 से 36 इंच की भारत की उपलब्धियों को दर्शाती राखी तैयार की गई थी जो 31 अगस्त रक्षाबंधन के पर्व पर एक साथ-एक समय पर सभी मंदिरों में बांधी। खजराना गणेश के साथ ही पंचकुईया स्थित वीर अलीजा हनुमान मंदिर, बड़ागणपति मंदिर, मल्हारगंज स्थित छोटे गणपति मंदिर, सुभाष चौक स्थित मणिभद्रजी के साथ ही उज्जैन में बाबा महाकाल एवं चितांमण गणेश को भी यह राखी बांधी गई।