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वाणी से ही मनुष्य का सम्मान और अपमान होता है- गोस्वामी ब्रजोत्सव महाराज

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट

इन्दौर । मनुष्य को तन, मन और विचारों से शुद्ध होना चाहिए। विचार अगर मिल जाएंगे तो तन और मन अपने आप मिल जाएगा। हमें हमेशा अपने जीवन में अशुभ सोचने की बजाए सभी का शुभ सोचना चाहिए। हमारी वाणी से किसी के खिलाफ भी कोई अपशब्द न निकलेगी। क्योंकि वाणी से ही मनुष्य का सम्मान और अपना होता है।
उक्त विचार मल्हारगंज स्थित गोवर्धन नाथ मंदिर हवेली प्रांगण में जारी भागवत कथा में बुधवार को व्यास पीठ से गोस्वामी ब्रजोत्सव जी महाराज ने वैष्णवजनों को कथा का रसपान करवाते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कथा में आगे कहा कि वाणी से ही शूल और फूल दोनों झरते हैं। धर्म करते समय हमारे मन में सदैव विनम्र भाव होना चाहिए। धर्म को धारण करना है तो धर्म को हृदय में स्थापित करना होगा। अगर श्रद्धा से धर्म का आचरण किया जाए तो वह धर्म स्थिर होगा। धर्म हमारे जीवन में आता तो है लेकिन टिकता नहीं। धार्मिक व्यक्ति को सदैव सहिष्णु होना चाहिए।
पुरूषोत्तम मास महामहोत्सव समिति जानकीलाल नीमा एवं मनोहर महाजन ने बताया कि मंगलवार को हजारों की संख्या में भागवत कथा का श्रवण किया। वहीं बुधवार को गोवर्धननाथ मंदिर हवेली प्रांगण में नंदोत्सव मनाया जाएगा।

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