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भागवत मनोरंजन नहीं, मनोमंथन का विषय – पंडया

इंदौर, । बर्तन कितना ही सुंदर और कीमती हो, यदि उसमें छिद्र होगा तो उत्तम पदार्थ भी बह जाएगा। हमारी जीवन यात्रा में भी ऐसे अनेक छित्र बनते रहते हैं, जो हमारे सदगुणों को बहा ले जाते हैं। कुसंग से बड़ा कोई छिद्र नहीं होता, लेकिन यदि सत्संग का कवच होगा तो आत्म कल्याण के साधन बचे रहेंगे। भागवत तन के साथ मन से भी श्रवण करने की कथा है। भागवत मनोरंजन नहीं, मनोमंथन का विषय है। हम मन को जगत के बजाय जगदीश में लगाए और उसे माखन की तरह निर्मल और निर्दोष बना लें तो भगवान खुद दौड़े चले आएंगे। हमारी साधना, आराधना और उपासना तभी सार्थक होगी, जब उसमें वासना नहीं होगी।

अमरेली (गुजरात) से आए प्रख्यात भागवताचार्य नितिन भाई पंड्या ने आज स्नेहलतागंज स्थित गुजराती समाज अतिथि गृह में श्री गुजराती विश्वकर्मा समाज के तत्वावधान में आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ के दौरान सुदामा – कृष्ण मिलन एवं समापन प्रसंग के दौरान उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कथा में कई ऐसे प्रसंग आए जब अनेक श्रोताओं की आंखें सजल हो उठी। भागवत कथा में आज सुबह 9 यजमान युगलों ने भागवत पारायण के बाद पूजन और यज्ञ हवन भी किया। कथा शुभारंभ के पूर्व समाज के अध्यक्ष दिलीप भाई परमार, संजय भाई, संदीप भाई, अजय भाई, दिनेश भाई और सूरज भाई परमार ने व्यासपीठ का पूजन किया। महिला मंडल की ओर से शोभना परमार, साक्षी, भारती लता बेन एवं मीना बेन परमार ने भागवताचार्य की अगवानी की। कथा समापन पर आयोजन समिति की ओर से सभी यजमान युगलों ने भागवताचार्य नितिन भाई पंड्या एवं गुजरात से आए संगीतज्ञों का शहर के गुजराती संगठनों की ओर से गरिमापूर्ण सम्मान किया।

भागवताचार्य पंड्या ने कृष्ण-सुदामा मिलन प्रसंग की व्याख्या के दौरान कहा कि सच्चा मित्र निच्छल, निस्वार्थ और निष्कपट रिश्ते में बंधा होना चाहिए। आजकल मित्रता के मायने बदल गए हैं। सच्चे मित्र बहुत कम बन पाते हैं। मित्रता तन और धन से नहीं, मन से होना चाहिए। कृष्ण-सुदामा की मित्रता इसलिए भी अनुकरणीय और वंदनीय है कि वह राजमहल और झोपड़ी, राजा और प्रजा तथा अमीर और गरीब के बीच की विषमता को दूर करने का प्रेरक संदेश देती है। भागवत मौत को मोक्ष में बदलने की कालजयी चाबी है। भगवान ने हमेशा बाल-ग्वालों से लेकर समाज के अंतिम छोर पर खड़े लोगों को गले लगाया।

     आज के राजा भी यदि अपने आसपास के सुदामाओं को गले लगा लें तो कलियुग भी द्वापर युग में बदल सकता है
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