बच्चों द्वारा बनाई गई सीड बाल से पहाड़ी क्षेत्र को करेंगे हरा-भरा
पर्यावरण संरक्षण को लेकर लगी बच्चों की कार्यशाला

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट
पर्यावरण व वृक्षों की उपयोगिताओं को जाना विद्यार्थियों ने
इन्दौर । शहरीकरण के चलते निरंतर हो रही पेड़ों की कटाई से पर्यावरण के जो हालात हुए हैं वह आगे आने वाले दिनों के लिए सचेत कर रहे हैं। आज का वातारण ग्लोबल वार्मिग की चपेट में आ गया है, जिसके कारण धरती धधक रही है और तापमान का स्तर बढ़ता जा रहा है। ऐसे में हमें जीवन और धरती मा को बचाना है तो पर्यावरण को हर हाल में बचाना होगा। उक्त विचार सुखलिया स्थित मदरलैंड स्कूल में आयोजित पर्यावरण संरक्षण को लेकर लगाई गई वर्कशॉप में विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण एवं ग्लोबल वार्मिंग का महत्व बताते हुए मुख्य अतिथियों ने व्यक्त किए। अतिथियों ने बच्चों को आगे कहा कि वनों की कटाई पर नियंत्रण नहीं किया गया तो पृथ्वी का संतुलन बिगड़ जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग से ठंड व बारिश कम होगी और झुलसा देने वाली गर्मी का सामना हमें करना पड़ सकता है। प्राचार्य जसप्रीत कौर वालिया एवं सुरजीतसिंह वालिया ने बताया कि बच्चों के लिए लगाई गई इस एक दिवसीय वर्कशाप में पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण के महत्व को समझाते हुए विद्यार्थियों को सीड बॉल बनाना सीखाया गया। इस सीड बाल की मदद से पहाड़ी क्षेत्रों को हरा-भरा करने का लक्ष्य रखा गया। जिन क्षेत्रों में आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता है वहां यह सीड बॉल फेंकी जाएगी जिससे वह क्षेत्र हरा-भरा किया जाएगा।
बच्चों ने अपने हाथों से तैयार की सीड बाल – प्राचार्य जसप्रीत कौर वालिया ने बताया एक दिवसीय इस वर्कशॉप में बच्चों को सीड बाल बनाना सीखाया गया। सीड बाल खाद,मिट्टी और भूसे का एक गोला होता है जिसमें बिज़ डाला जाता है और उसे सुखा कर उस स्थान पर फेंका जाता है जहां पर वृक्षारोपण कार्य संभव नहीं हो पाता है, जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में। बाद में बारिश से ये मिट्टी की बॉल्स गल जाती हैं और डाले गए बिज़ में से एक नए अंकुर का जन्म होता है जो आगे चलकर विशाल वृक्ष में परिवर्तित हो जाता है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर लगाई गई इस एक दिवसीय वर्कशाप में मुख्य रूप से अनुराग सचदेवा एवं मनोजसिंह चौहान विशेष रूप से उपस्थित हुए थे।