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श्वेतांबर जैन समाज में शोक की लहर: तिलकेश्वर

पार्श्वनाथ उपाश्रय में चातुर्मास कर रहे आचार्य श्रीमद् विजय वीररत्न सूरीश्वर महाराज का देवलोकगमन

Indore। मालव विभूषण आचार्य श्रीमद् विजय वीररत्न जी सूरीश्वर महाराज का शुक्रवार को देवलोकगमन हो गया। वे तिलकनगर में तिलकेश्वर पार्श्वनाथ उपाश्रय में चातुर्मास कर रहे थे। उनके चातुर्मास की कलश स्थापना 1 जुलाई को हुई थी, लेकिन अस्वस्थ होने के कारण वे अस्पताल में भर्ती थे। इसके बाद वे स्वस्थ होकर मंदिर लौटे और 9 जुलाई को समाजजन ने उनका वरघोड़ा निकालकर अगवानी की और इसके बाद में मंदिर में विराजित हो गए थे। राजेश जैन युवा ने बताया कि आचार्यश्री की देवास जिले के शिवपुर जैन तीर्थ मातमोर के संस्थापक रहे हैं और जैन मंदिर के निर्माण में भी अहम भूमिका रही है। गुरुदेव वीर रत्न सुरेश्वर जी महाराज का अंतिम संस्कार कल शिवपुर मातमोर में ही होगा।

मालवा विभूषण आचार्य श्रीमद वीररत्नविजयजी म.सा. का शुक्रवार को देवलोकगमन हो गया। गुरुदेव की महाप्रयाण यात्रा कल विधिविधान पूर्वक दिनांक 15 जुलाई को सुबह 7 बजे तिलक नगर मंदिर से ले जावेंगे एवं अंतिम संस्कार 2 बजे शिवपुर महातीर्थ मातमोर में गुरुदेव पद्मभूषण म.सा. के निर्देशानुसार होगा। इतनी महान शख्सियत के महाप्रयाण ने हर किसी को स्तब्ध कर दिया। हर शख्स ने आचार्यश्री के साथ बिताए पलों को अश्रुधारा के माध्यम से याद किया। आचार्यश्री का जन्म पिंडवारा जिले में 28 फरवरी 1952 को हुआ 72 वर्ष की उम्र में 63 वर्ष का दीक्षा पर्याय था। आचार्यश्री ने मक्सीजी उन्हेल तिलक नगर महातीर्थ जैसे 14 महातीर्थ करीब 285 निर्माण कार्य उनके द्वारा किये गए थे। अनेक अंजनशला का प्रतिष्ठा महोत्सव, तीर्थ यात्रा और छ: यात्रा उनके द्वारा की गई थी।

उपरोक्त अवसर पर श्री हेमंतजी पारीख, (अध्यक्ष मातमोर तीर्थ), श्री विनोदजी बाबेल (सचिव), श्री संजीवजी लुणावत (कोषाध्यक्ष), श्री कैलाशजी नाहर, श्री कैलाशजी सालेचा, श्री संदीपजी पोरवाल, युवा राजेश जैन, श्री कल्पकजी गाँधी, श्री पारसजी कोठारी, श्री अजयजी जैन, अधिकृत शिवपुर ट्रस्ट उपस्थित थे।

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