विविध

डायबिटीज से पीड़ित बच्चों में तनाव का स्तर ज़्यादा

डॉ. भरत साबू के शोध पत्र का निष्कर्ष

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट:—

इंदौर,: डायबिटीज से पीड़ित बच्चों में तनाव का स्तर ज्यादा होता है–यह बात हाल ही में यूरोपियन सोसायटी ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी में चयनित शोध पत्र में सामने आईl इस शोध की खास बात यह है कि इसे इंदौर के ही डाईबिटोलॉजिस्टडॉक्टर भरत साबू ने डायबिटीज पीड़ित बच्चों पर किया है।

इस्तांबुल तुर्किये में आयोजित होने विश्व की सबसे बड़ी एंडोक्राइनोलॉजीकॉन्फ्रेंस में डॉ. भरत साबू के तीन शोध पत्र चयनित किये गए है। संभवतः यह पहला मौका है जब शुगर और मोटापे जैसी बीमारी के चिकित्सकीय पक्ष के साथ उसके सामाजिक औरव्यावहारिकपक्ष को किसी प्रोफेशनल ने इस तरह प्रस्तुत किया है।

प्रतिष्ठित कॉन्फ्रेंस में चयन होने वाले पहले शोध पत्र में डॉक्टर साबू ने पाया कि डायबिटीज से पीड़ित बच्चों में तनाव का स्तर ज़्यादा होता है।यह पाया गया कि तीन में से एक डायबिटीज से पीड़ित बच्चा तनाव से ग्रसित है और यदि समय रहते इस समस्या की पहचान कर ली जाए तो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। तनाव और शुगर की बीमारी के परस्पर प्रभावों की इस रिसर्च को बड़े पैमाने पर तारीफ मिल रही है। डॉ साबू के इस शोध निष्कर्ष को डायबिटीज शोध के क्षेत्र में सर्वाधिक प्रतिष्ठित शोध पत्रिका “एंडोक्राइन एब्स्ट्रैक्ट्स” में  प्रकाशित किया जाएगा, जो भविष्य में इस क्षेत्र के शोधकर्ताओं, विशेषज्ञों और चिकित्सकों के लिए संदर्भ का काम करेगा।

शुगर से स्वास्थ्य पर होने वाले सामान्य प्रभावों से अलग यह शोध बच्चों में तनाव पर उचित  समाधान प्रस्तुत करता है।डॉ भरत साबू, चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषकर समाज मे राजरोग माने जाने वाले डायबिटीज को लेकर विशिष्ट शोध कार्य कर रहे है।

एक अन्य शोध में मोटापे की समस्या के सामाजिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए डॉ साबू ने निष्कर्ष निकाला कि समाज मे मोटापे को लेकर एक नकारात्मक सोच है। यहां यह तथ्य भी ध्यान में रखना जरूरी है कि समाज के 56% लोग मोटापे के कारण शरीर में होने वाली अन्य बीमारी के बीमारी के भविष्य में होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर चिंतित रहते है।

भारत मे दवाओं के उपयोग को लेकर किये गए एक अन्य शोध में डॉ साबू ने पाया कि मात्र 60% मरीज़ ही दवाओं का डॉक्टर द्वारा सुझाये गये अनुसार प्रयोग करते हैं जो कि नतीजों की सेहत के लिए हानिकारक है।

डॉ भरत साबू के तीनों शोध पत्र की उपयोगिता सामाजिक जीवन मे शुगर की बीमारी को लेकर लोगो के कार्य- व्यवहार और सरोकारों को नई सोच देने वाली रहेगी। डॉ साबू के शोध का बड़ा महत्व प्रदेश के लिए इसलिए भी अधिक है कि शोध का सैंपल, परिकल्पना से लेकर परीक्षण, परिणाम तक सारे कार्य मालवा क्षेत्र को आधार बना कर किये गए है।

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